अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com

Thursday, November 3, 2011

मेरी जिंदगी की झील में.........संजय भास्कर

उन्होंने कहा सबसे प्यार करो
जिन्दगी खुद ही प्यारी हो जाएगी
मैंने कोशिश की पर कर नहीं पाया
हर किसी को प्यार दे नहीं पाया
उसने भी मेरा साथ न दिया 
चाहा न उसने मुझे बस देखती रही 
मेरी जिंदगी से 
वो इस तरह खेलती रही ,
न उतरी वो कभी 
मेरी जिंदगी की झील में ,
बस किनारे पर बैठ कर पत्थर 
फेकती रही ............!

......................संजय भास्कर

8 comments:

  1. किसी चाहने वाले का यदि अगला साथ न दे..तो यह दुर्भाग्य दुसरे इंसान का होता है क्यूंकि वो एक चाहने वाला इंसान खोता है

    ReplyDelete
  2. बिलकुल सही बात कही अपने डॉ ,,,,बहुत अच्छा लिखा है संजय अपने

    ReplyDelete
  3. आपके पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  4. मैंने कोशिश की पर कर नहीं पाया
    हर किसी को प्यार दे नहीं पाया
    उसने भी मेरा साथ न दिया
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....!
    अक्सर ऐसा होता प्यार का जबाब प्यार नहीं होता....!!

    ReplyDelete
  5. न उतरी वो कभी
    मेरी जिंदगी की झील में ,
    बस किनारे पर बैठ कर पत्थर
    फेकती रही ............!बेहतरीन भावाभिवय्क्ति.....

    ReplyDelete
  6. bhaut hi prabhaavshali panktiya....

    ReplyDelete
  7. संजय भास्कर ji,
    बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...

    ReplyDelete
  8. आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

    ReplyDelete