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Saturday, February 25, 2012

चाहता हूं मैं


आओ समेट लें हम,
अपने-अपने हिस्से की यादें,
तुम मेरी यादों को छोड़ देना,
कहीं-किसी बीच राह में।
मैं तुम्हारी यादों को,
रखूंगा सहेजकर सदा अपने पास।
क्यूंकि हम दोनों की यादों ने,
कभी मिलकर की,
गूफ्तगूं आपस में।
तब बे-पर्दा हो जाएगी,
मेरी आदत और तुम्हारी रवायत?
तुम ही नहीं यादें भी तुम्हारी,
शर्मिंदा न हो चाहता हूं मैं।

  • रविकुमार बाबुल

चित्र : साभार गूगल

Thursday, February 23, 2012

"मैंने जिससे प्यार किया ......वो है सबसे हसीं "



मैंने जिससे प्यार किया
          वो है दुनिया में सबसे हसीं
खूबसूरती उसके पास ऐसी
          जैसे है वो अप्सरा सवर्ग की
अदाएं उसकी हैं ऐसी 
          जैसे सर्द हवा हो वो सावन की...

होंठ उसकी है देखो 
          गुलाब की पंखुरी की तरह 
चाल उसकी है देखो
          समुंदर की लहरों की तरह...

ज़ुल्फ़ कहती है उसकी
          हर रात की कहानी
आखें हैं ऐसी जैसे 
           मयकसो की रानी...

चाँद भी उसको देख
           रातों मे झांकता है
फूल भी उसको देख
           आहें भरता है...

है वो एक ऐसा शेर
          जो शायरों ने भी नहीं सुना
है वो एक ऐसा चाँद
          जो अमावश में भी है दिखता
है वो एक ऐसा फूल
          जो पतझड़ में भी है दिखता...

उस हुस्न की तारीफ क्या करूँ
          अब आप हमें बताईये
क्या कहूँ मैं उसे -
          मीर की ग़ज़ल ,
या अगर है कोई दूजा नाम ,
          आप हमे बताईये...!!!??

दिल के अहसास

1. हर इक रस्म निभा जाना आसान नहीं,
बस सोचना ही आसान होता है ।

2. तस्वीरें अहसास कराती हैं
अपनों के पास होने का
उसकी अहमियत कोई समझे
ये जरूरी तो नहीं ।

3. दिल जल जाते हैं
हाथों को जलाने से क्या होगा
गर चाहे वो मुझे
तो याद आयेगी उसे
मेरे याद दिलाने से क्या होगा ।

4. जब नाम दिल पर लिखा हो
कागज से मिटाकर क्या पा लोगे
हस्ती है मेरे प्यार की रौशन
ख़्वाबों में जो तुम मुझे ना पाओ
तो ख़्वाब सुनहरे कैसे सजा लोगे ।

Wednesday, February 22, 2012

अनबुझी प्यास


एक वो था,
जो सारा समन्दर,
अपने प्रेम का,
मुझको सौंप देना चाहता था।

एक तुम हो,
जिसके पास मेरे लिये,
प्रेम का एक कतरा भी नहीं है।

यह मेरे नसीब की साजिश है,
या फिर,
उसकी बद्दुआ रही होगी?

जो रह गई,
मेरी प्यास अनबुझी,
तुम्हारे होते हुये भी।

  • रविकुमार बाबुल


चित्र : साभार

Monday, February 20, 2012

मोहब्बत भी अज़ीब हैं


मोहब्बत भी अज़ीब हैं....
उसकी मुस्कान से हो जाती हैं
और उसकी आंखो मे खो जाती हैं

मोहब्बत भी अज़ीब हैं....
दिल की सुन लेती हैं
ख्वाब बुन लेती हैं

मोहब्बत भी अज़ीब हैं....
लफ्जो का सहारा लेती हैं.
और लबो को बंद कर देती हैं.

मोहब्बत भी अज़ीब हैं....

(चिराग)

Saturday, February 18, 2012

वो खुदा हो जायेगा....


हम मुहब्बत के पुजारी हैं मुहब्बत की कसम।
जिसको भी सजदा करेंगे वो खुदा हो जाएगा॥
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भेलनी के बेर जूठे थे ये कैसे देखते।
राम तो हैरत में थे जंगल में इतना प्यार है॥
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निभाना खून के रिश्ते बहुत आसान नहीं होता।
गुजर जाती है सारी जिंदगी खुद से लड़ाई में॥
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बहला रही है भूख को पानी उबाल कर।
वो मां है दिखा देगी बच्चों को पाल कर॥
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कैसे करवट वक्त ने बदली है लोगों देखिए।
दर दर फिरते थे जो वो आज रहबर हो गए॥
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बनाओ शहर में कुछ खुशनुमा इमारतें भी।
मगर बुजुर्गो की कुछ यादगार रहने दो॥
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ये झूठों का जमाना है, कोई सच बात मत कहना।
चुनांचे रात बेशक हो मगर तुम रात मत कहना॥
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गरदो गुबार, शोर, धुंआ और भीड़-भाड़।
मैं रह रहा हूं ऐसे बवालों के शहर में॥
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कितनी दीवारें उठी हैं एक घर केदरमियां।
घर कहीं गुम हो गया, दीवारों दर के दरमियां॥
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मोहब्बत जिंदगी केफैसलों से लड़ नहीं सकती।
किसी को खोना पड़ता है किसी का होना पड़ता है॥
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घुटने लगता है दम सियासत का । जब फिजा खुशगवार होती है॥
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होठों पे तबस्सुम की दुकानें तो सजी हैं, चेहरे पे मगर रौनके बाजार नहीं है॥
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मैं तो इक इंकलाब हूं यारो, वक्त लगता है मुझको आने में॥
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कौन जी पाया है इन्दु यहां अपनी तरह, जिंदगी अस्ल में बस एक अदाकारी है॥

संकलन-प्रस्तु‌ति- इंदू भूषण पाण्डेय
संपर्क- 9415434249

Monday, February 13, 2012

तेरी याद


सूरज की पहली किरणें,
दे जाती हैं रोज तेरी याद।
चांद की शीतलता,
सहलाती है तेरी याद।

क्यूं रात को अक्सर आकर,
आंखें मेरी धो जाती हैं तेरी याद।
रोज सोचता हूं भूल जाऊं तुझे,
न भूलने की कसम दे जाती है तेरी याद।

  • रविकुमार बाबुल

Saturday, February 11, 2012

अच्छी लड़की


आओ मित्र,
आज हम,
दोस्ती और प्यार को,
परिभाषाओं से कर दें आजाद।

अच्छी लड़की नहीं हूं मैं,
कहकर बेड़ी मत बांधो तुम,
अपने रिश्ते को जुड़ने में,
मैं भी अपने हिस्से का,
सारा आसमान दे दूंगा,
तुमको।

बस तुम,
प्यार का मुठ्ठी बर बादल,
कर देना मेरे नाम।
बरसते रहना ,
मेरे जीवन में,
बन कर "हां"।


  • रवि कुमार बाबुल

Friday, February 10, 2012

मौत

भयावह रूप ले वो क्यूँ,
इस तरह जिद् पर अड़ी है
बड़ी क्रुर दृष्टि से देख रही मुझे
देखो मौत मेरे सामने खड़ी है ।

ये देख खुश हूँ मैं अपनो के साथ
जाने क्या सोच रही है
कुछ अजीब सी मुद्रा में
देखो मौत मेरे सामने खड़ी है ।

चली जाऊंगी मैं साथ उसके
नहीं डर है मुझे उसका
फिर क्यों वो संशय में पड़ी है
देखो मौत मेरे सामने खड़ी है ।

कभी गुस्से में झल्ला रही है
कभी हौले हौले मुस्कुरा रही है
इस तरह मुझे वो फँसा रही है
देखो मौत मेरे सामने खड़ी है ।

देख मेरे अपनों की ताकत
और मेरे हौसलों की उड़ान
से वो सकपका रही है
देखो मौत मुझसे दूर जा पड़ी है ।

ले जाना चाहती थी साथ मुझे
अब वो मुझसे दूर खड़ी है
मेरे अपनों के प्यार से वो
छोड़ मुझे मुझसे दूर चली है ।
© दीप्ति शर्मा

मेरे लिये


प्रिय,
बस एक बार सुलझा दो,
पहेली मेरे जीवन की।
मेरे दिल की जमीं पर,
बो दो तुम कोई बीज।
उसका प्रस्फुटन होने से,
नहीं रोकूंगा कभी,
वह चाहे मुहब्बत हो या नफरत?
बस इन दोनों में से,
कुछ भी चुनों,
तुम मेरे लिये।

  •  रवि कुमार बाबुल

Wednesday, February 8, 2012

पागल से दुनिया हारी...


दुनिया भी अजीब सी पागल हो चली है, बहकती भी यही है और लुढ़कती भी यही है। शायद तभी सब इस दुनिया को ‘पागल ’ का तमगा दे बैठते हैं। मेरी सहयोगी ने इसी पागलपन को जब शब्दों में ढाला तो लगा हर इक शब्द पागल हो उठा हो? जी... कभी प्रेम से इतर पागलों के लिये मशहूर रहे आगरा में रहकर पागलपन पर उनकी रचना अगर आपको अच्छी लगे उनके लिंक से जरूर जुड़े। http://dotuk.blogspot.in/
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पागल से दुनिया हारी...

कुछ तुम पागल कुछ हम पागल
पागल सी है दुनिया सारी
मैं पागलपन का कायल हूं
पागल से ये दुनिया हारी....

पागल को पागल गर कह दो
वो मंद-मंद मुस्काता है
नहीं फिक्र उसे किसी आम-खास की
वो खुद गाता-चिल्लाता है...
पागलपन यारों नशा एक
ये नहीं है कोई बीमारी
पागल से दूजा नहीं श्रेष्ठ
पागल ने ये दुनिया तारी...

पागल बनकर देखो तुम भी
क्या खूब मजा फिर आएगा
आंसू को पीने वाला भी
हंस-हंस कर गीत सुनाएगा
अपनी दुनिया का मालिक वो
है बिन कुर्सी का अधिकारी
पागल को मेरा श्रद्धेय नमन
पागलपन का मैं पुजारी

पागलपन पाने की खातिर
तप कठोर करना पड़ता है
आसान नहीं पागल बनना
जीते-जी मरना पड़ता है
शब्द-शब्द और श्वांस-श्वांस जब
घुट-घुट कर दब जाते हैं
दशकों तक चलता है ये क्रम
तब बिरले पागल बन पाते हैं....
नहीं आम शख्स पागल कोई..
मनुज है कोई अवतारी
मैं पागलपन का कायल हूं,
पागल से ये दुनिया हारी....

  • - सुश्री प्रीति शर्मा



Sunday, February 5, 2012

खूबसूरती


दुनिया की सबसे,
खूबसूरत लड़की हो तुम,
इसलिये मैं तुमसे प्यार करता हूं?
या फिर,
तुमसे प्यार है मुझे,
इसलिये,
दुनिया की सबसे,
खूबसूरत लड़की हो तुम?
किससे पूछूं मैं,
खूबसूरती का राज।


  • रविकुमार बाबुल

फोटो साभार

Saturday, February 4, 2012

'Save Your Voice'अपनी आवाज बचाओ




'Save Your Voice' की ओर से हम 13 मई, 2012 को इंडिया गेट से एक लंगडा मोर्चा निकालेंगे क्योंकि हम मानते हैं की वेब सेंसोर्शिप के बाद हमारी सोशल मीडिया लंगडी हो जायेगे. हम भारी संख्या में इकट्ठे होकर लूले लंगड़े बनकर लंगडा मार्च निकालेंगे और इस बीच हम पूरे देश की यात्रा करेंगे और देश के हर कोने में ब्लोगर्स और एक्टिविस्ट से मिलकर उन्हें वेब सेंसरशिप के खिलाफ एकजुट करेंगे.