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Wednesday, July 31, 2013

रीढ़ की हड्डी नहीं गिरवी रखी, इसलिए ये सर तना है दोस्तों




गाँव से शहर आकर सादादिल लोगों को अक्सर शहर बड़ा लुभावना और शहरी तेजतर्रार लगते हैं... फिर याद आता है कि अब गाँव में भी गाँव कहाँ रहा है...गंवई राजनीति खून-खराबे, चौपालों के छल और भेदभाव सब भुलाकर... वो जीना चाहता है...शहर को जीतना चाहता है...आगे बढ़ना चाहता है....लेकिन कैसी जीत??? जो अपना ईमान दांव पर लगाकर मिले वो जीत भी भला जीत है???... श्री सी एम त्रिपाठी जी की इन चंद पंक्तियों में गाँव से आकर शहर में बसे किसी ऐसे ही आदमी की पूरी की पूरी ज़िन्दगी हैं.. पत्रकारिता के शुरूआती दिनों में मुझे कुछ माह उनसे सीखने का मौका मिला...खुशनसीबी है मेरी कि मैं उन्हें बापू जी कह पाती हूँ...

गाँव भीतर से घुना है दोस्तो

शहर लोहे का चना है दोस्तों 

उस महल के द्वार पर दस्तक न दो
वो सियासत से बना है दोस्तों

जो हमारा ही लहू पीता रहा
वो हमारा सरगना है दोस्तों

रीढ़ की हड्डी नहीं गिरवी रखी
इसलिए ये सर तना है दोस्तों

सी एम त्रिपाठी

Monday, July 29, 2013

अब वक्त की ठोकर पे खड़ा सोच रहा हूं



संक्षिप्त परिचय: मीडिया में करीब 18 साल से अपनी सेवाएं दे रहे श्री सी एम् त्रिपाठी मीडिया के ग्लैमर से कई मील दूर हैं... इनकी रचनायें तमाम मंचीय कवियों और रचनाकारों को ठेंगा दिखाती हैं... शब्दों और भाषा की मजबूत पकड़ रखने वाले श्री त्रिपाठी स्वतंत्र भारत में फीचर डेस्क प्रभारी के पद पर हैं... मीडिया में शराफत को सहेजकर चल रहे त्रिपाठी जी की खाली जेबें सिर्फ और सिर्फ सम्मान से भरी हैं... पैसे की कमी के कारन उनका अभी तक कोई रचना संग्रह नहीं आ सका है... कविताबाज़ी में हम लगातार उनकी कवितायेँ प्रकाशित करेंगे...ताकि आपतक ऐसे मसिजीवी भी पहुँच सकें जो धन की दीवार के पीछे छिप गए हैं....





सीने में ऐतबार के खंजर उतर गए
बरता जो ऐहतियात तो साये से डर गए

अब वक्त की ठोकर पे खड़ा सोच रहा हूं
दुःख दर्द मेरा बांटने वाले किधर गए

शायद कि मिल ही जाये सुकूं दोस्तों के बीच
पूछो न इस तलाश में किस किस के घर गए

गिरना ही था तो एक नहीं सौ मुकाम थे
ये क्या किया कि आप निगाहों से गिर गए

चंद्रमणि त्रिपाठी (सी एम त्रिपाठी)

Saturday, July 13, 2013



यारी है ईमान मेरा
यार मेरी जिन्दगी ...यारी है

LARGER PERSONALITY THAN LIFE

प्राण साहब अपने अभिनय के लिए हमेशा याद किए जायेंगे. बॉलीवुड को लगातार उनकी कमी खलेगी वो मात्र एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने अपने नकारात्मक किरदार सकारात्मक वेश भूषा में किया 320 फिल्मो में 200 से ज्यादा गेटप अपनाए. प्राण ने Unnao, Uttar Pradesh ,से प्राइमरी की शिक्षा ली और उत्तर प्रदेश के तमाम शहरो में रहे .प्राण एक एक्टिविस्ट भी थे आपातकालीन के दौरान उन्होंने इंदिरा सरकार का विरोध किया था. निजी जिन्दगी में प्राण बेहद उम्दा इंसान थे
उन्होंने अमिताभ बच्चन की कई बार मदद भी की थी

भावपूर्ण श्रधान्जली
कविताबाज़ी