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Monday, February 28, 2011

मेरे संग आज भी गवाह है ये बेजुबान लोग ,,,,

तुम मिली तो ऐसा लगा जैसे सबकुछ था पा लिया 
और तुम क्यों युही खेलकर दिल से चली गयी 

तुम लजावाब हों और ख़ास बहुत हों 
सुनकर ये बात क्यों तुम हसकर चली गयी 

माना की रस्मो रिवाजों से डरते है मोह्ब्बत किये लोग 
जो हिम्मत बनाई थी हमने क्यों वो तोड़ कर चली गयी 

मेरे संग आज भी गवाह है ये बेजुबान लोग 
और  तुम युही इनको भूल कर चली गयी 

'मनी'आज भी मै तेरे लिए एहसास वही रखता हू
और तूम गुमसुम सी एहसासों को छु कर चली गयी 
      ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ल 

Saturday, February 26, 2011

इस कदर गुमसुम...


कभी- कभी 
कुछ भी न लिखना  भी 
अच्छा होता है ;
जरूरी तो नहीं 
कि
सब कुछ जो 
हम कहना चाहे , कहे ही ;
या फिर जो हम कहते है 
वो कोई 
समझे ही. 
दोस्तों!
अधिकतर तो हम कहते रहते है -
लोग सुनते रहते है
फिर एक दिन 
पता चलता है
किसी ने कुछ भी तो 
नहीं सुना था ;
सुना होता तो आज 
यू क्या अकेले होते हम, 
इस भीड़ में यू तन्हा
इस कदर  गुमसुम.

अहमियत

अक्सर बोला करते हैं अहमियत,
क्या कभी समझ पाए ईस की गहरायी!!

कितने परिवर्तनशील है ये अहमियत,
उम्र के पड़ावों के साथ बदल जाते है ये अहमियत!!

जब हम मासूम होते हैं तब हमारे लिए,
पेन , पेंसिल और चित्रकारी रखते है अहमियत!!

धीरे धीरे बाल सुलभ चेष्टाएँ परिवर्तित हो जाते हैं,
और कुछ शब्द रखने लगते हैं हमारे लिए अहमियत!!

वो शब्द जो हम सुनना चाहते है ,
 रखने लगते हैं अहमियत!!

पर कहने वाला कहता ही नही,
शायद नही रखते हम असके लिए अहमियत!!

या कभी कोई और सुनना चाहता है हम से वो शब्द,
और हम कह नहीं पाते या फिर कहना नही चाहते वो शब्द,
शायद हम नहीं जानते उन शब्दों की अहमियत!!

उन शब्दों के इंतजार में यूँ ही गुजर जाते है जिन्दगी
जो की रखती है सब के लिए अहमियत!!

Wednesday, February 23, 2011

इश्क क्या होता है ............!


इश्क क्या होता  है ,
समझते है हम चोट खाने के बाद ,
वो हंस कर सितम करती रही 
हम हंस कर सितम सहते रहे 
मेरी आँखों में झलकती है मेरी कहानी 
जो छुपाये नहीं छुपती |
मौत आये तो गले लगा ले हम 
जी कर क्या करे इश्क में चोट खाने के बाद 
दर्द गमो का इलाज़ मिल भी जाये तो क्या 
मरना चाहता है ' भास्कर ' अब लाइलाज | 
-- संजय कुमार भास्कर

Friday, February 18, 2011

my dear son you have complete sky,,,,,,,,,,,,


one day my mother told me,
                                                        my dear son you have complete sky
                                                                   now you r free and you can fly
but try to slowley because there are so many eagle and hunters.who can cheat you and eat you but there are so many opportunituies also where you can learn and choose your right path and make your self such a leader who can lead his team and world ,
but try to slowley
it may or may not be.today is last meeting to you
so my dear son be careful about your life,,,,,,,,,,,god bless you.

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,manish kr shukla

Thursday, February 17, 2011

समय की हर इबादत पर इन्ही के दस्तखत होंगे ,,,,,,,,,,,,,

हमारे प्रिय मित्र ,,,,असीम जी  के लिए 
चंद पंक्तिया 

भले है या बुरे है ये 
असज्जन है या सज्जन है 
नहीं इस मामले में दोस्त इनके एक मत होंगे 
मगर इस असलियत को जानते है 
जानने वाले समय की हर इबादत पर इन्ही के दस्तखत होंगे ,,,,,,,,,,,,,

प्रिय असीम जी को उनके 
जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाये 

Tuesday, February 15, 2011

राजनीतिक स्वार्थ ........!

महंगाई का ब्रेकफास्ट  कीजिये ,
आश्वासनों का लंच कीजिये ,
डिग्रियों की सिगरेट बनाकर पीजिये |
हे भाई ! इतनी सुखद जिंदगी के लिए ,
कम से कम सरकार को धन्यवाद तो दीजिये |
नेता जी ने नारा लगाया ,
गरीबी हटाओ ,गरीबी हटाओ ,
गरीबी खिसिया कर बोली ,
महोदय , पहले अपना वजन तो घटाओ |
सिर्फ कुर्सी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ,
देखना है कितनी गुंजाइश तुम्हारे  मंत्रिमंडल  में है  |
 चित्र :- ( गूगल से साभार  )

Saturday, February 12, 2011

जीतूँगा बस ये ठाना है हा,,,,,,,,,,,,

मै हारूं या जीतूं अलग बात है 
एक ताकत तो मैंने लगाई ही है 

जो सपने देखे वो पूरे होंगे की न 
मैंने सपनो से आंखे मिलाई ही है 

जीतूँगा बस ये ठाना है हा
ये कसम तो मैंने उठाई ही है
    ........मनीष शुक्ल  

Tuesday, February 8, 2011

जावेद साहब की कुछ पंक्तियाँ


           क्यों ना हम कविताबाज़ी को सिर्फ कविता लिखने और कमेन्ट करने से कुछ आगे ले जायें और यहाँ हिंदी कविता पर चर्चाएं भी शुरू करें, जो कि कुछ बड़े कवियों पर हों या उनकी रचनाओ पर. कुल मिलाकर कविताबाज़ी सिर्फ हमारी कविताओं तक ही सीमित ना रहे. हम समस्त काव्य संसार पर चर्चाएं करें, अपनी राय रखें और अपने प्रिय कवि और अपनी प्रिय रचनाओं को भी यहाँ पर साझा करें. इसी कड़ी में आज जावेद अख्तर की कुछ पंक्तियाँ यहाँ पेश हैं... इन पंक्तियों पर और जावेद साहब पर आपके विचार आमंत्रित हैं....

अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना

मैंने पलकों पे तमन्‍नाएँ सजा रखी हैं
दिल में उम्‍मीद की सौ शम्‍मे जला रखी हैं
ये हसीं शम्‍मे बुझाने के लिए मत आना

प्‍यार की आग में जंजीरें पिघल सकती हैं
चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना

अब तुम आना जो तुम्‍हें मुझसे मुहब्‍बत है कोई
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई
तुम कोई रस्‍म निभाने के लिए मत आना

Monday, February 7, 2011

वसंत पंचमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाये !!


कविताबाज़ी ................ब्लॉग की और से ब्लागजगत के सभी साथियों को
वसंत पंचमी के पावन अवसर पर हार्दिक  शुभकामनाये  !!

-- संजय भास्कर

Sunday, February 6, 2011

सोचता हूँ महफ़िलों में किस तरह जाऊं....!


सोचता हूँ महफ़िलों में किस तरह जाऊं 
खामोश ही बैठा रहूँ या झूम के गाऊँ

हलके सुरूर में ही अक्सर बहक जाता हूँ
वक़्त है बतला दो मै आऊँ या ना आऊँ

दुश्मन हों या फिर दोस्त हों सब एक जैसे हैं
किसको बुरा कह दूं मै किसकी खूबियाँ गाऊँ

जाने क्यों उसकी निगाहें सूनी सूनी हैं
क्यों ना बनके ख्वाब मै उनमे समा जाऊं

बातें भी  ना हुईं इशारा भी ना हुआ
अब इसको भला कैसे मुलाक़ात कह पाऊँ

एक तरफ जज्बात हैं और एक तरफ है आबरू
ना दूर रह पाऊँ ना उसके पास जा पाऊँ 

वो दूर रहता है तो उसके पास रहता हूँ
वो पास आ जाये तो बताओ कहाँ जाऊं

ये जान लो कि मै अगर ख्वाबों में बह गया
मुश्किल ही है फिर से कभी घर लौट के आऊँ

ख्वाबों में भी आया नहीं वो कई रातों से 
जी चाहता है आज उसके घर चला जाऊं

Wednesday, February 2, 2011

अब मुझे किसी से प्यार नहीं रह गया!!!!!!!!!!!


जिंदगी पे ऐतबार नहीं रह गया
अब मुझे किसी से प्यार नहीं रहा गया
जब गलियों में ही बट रही हों नफरतें
तो दुनिया पे मेरा ऐतबार नहीं रह गया
..................................................
अब मुझे किसी से प्यार नहीं रहा गया
जिंदगी पे ऐतबार नहीं रह गया


हर सक्श कि आदतें है , हर इंसान का अंदाजेबयां
यहाँ आपस में कोई करार नहीं रह गया
जिंदगी पे ऐतबार नहीं रह गया
अब मुझे किसी से प्यार नहीं रहा गया

क्यूँ प्यार दिखाते है लोग, क्यूँ दिल बहलाते हैं लोग
जब पैमाना ही फीका देखा मैंने, तो महफ़िल पे खुमार नहीं रह गया
जिंदगी पे ऐतबार नहीं रह गया
अब मुझे किसी से प्यार नहीं रहा गया

घुटन है सडन है और लाखों बंदिशे हैं
प्यार में सिसकियाँ है और कुछ कैद परिंदे हैं
मैं अपनी ही डेमोक्रेसी में सरकार नहीं रह गया
अब किसी से मुझे प्यार नहीं रह गया
जिंदगी पे मेरा ऐतबार नहीं रह गया