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Wednesday, April 27, 2011

जन्मदिन मुबारक हो परियों की रानी......अनुष्का !!

 अनुष्का कि बचपन कि तस्वीर 


ओ लाडली, मेरी छैल छबीली
तितलियों सी है चंचल, फूलों सी रंगीली
परियों की रानी, ओ राजदुलारी
तेरी अदाएँ, जहां से निराली 
नन्हे कदमो ते तेरे, नाचे मेरी खुशियाँ
तेरे आने से रोशन हुई हमारी दुनिया सारी 

 कल मेरी भांजी अनुष्का का जन्मदिन था जो कि पूरे चार साल कि हो गई है 
सोचा अपने कविताबजी ब्लॉग के सभी मित्रो से साँझा कर लू ......

--संजय भास्कर

Thursday, April 21, 2011

मोहब्बत

इस मोहब्बत का नतीजा ब खुदा कुछ भी नहीँ

ऐसी बीमारी है यह जिसकी दवा कुछ भी नहीँ

खो गयीँ तस्वीरेँ तेरी खो गये तेरे खुतूत

ज़हन मेँ अब तेरी यादोँ के सिवा कुछ भी नहीँ

कब मोहब्बत की ज़बां अल्फ़ाज की मोहताज है

मैँने सब कुछ सुन लिया उसने कहा कुछ भी नहीँ

हमने तुझ को हसरतेँ दीँ,चाहतेँ दीँ,जान दी

ज़िन्दगी हम को मगर तुझ से मिला कुछ भी नहीँ

बाल क्योँ बिखरेँ हुए हैँ,क्योँ यह आंखे लाल हैँ

मैँने पूछा क्या हुआ कहने लगा कुछ भी नहीँ

जिन चराग़ोँ की हिफ़ाज़त कर रहे होँ हौसले

उन चराग़ोँ के मुक़ाबिल यह हवा कुछ भी नहीँ

शर्त तो यह है कि पढने वाली आँख हो

कौन कहता है कि चेहरे पर लिखा कुछ भी नहीँ

लिया गया है:
http://premkibhasha.blogspot.com से।

Wednesday, April 20, 2011

जिन्दगी


                            

रात के अँधेरे साये में वो चिडचिडाती  रौशनी कभी राह दिखाती है तो कभी बस आँखों में चुभती सी नजर आती है | यक़ीनन उस रौशनी के भीतर कोई ख्वाब , कोई उम्मीद है जो पल पल जलती है , पर उसी वेग से जगती भी जाती है |
अथाह मन में उत्पन्न हर बात और विचित्र विडंबनाओ से जूझती जिन्दगी , क्या कोई उम्मीद पूरी कर पायेगी या इस रौशनी में इसकी चमक फीकी पड़ जाएगी|
अद्रीश की तरह ऊँचाई का कोई मुकाम पा मेरी जिन्दगी  आज किसी तारे की तरह आकाश में टीमटीमाएगी या धूमिल हो कोई अकस्  बन रह जाएगी |
हर एक चाह की तपिश  में तप, मेरी उम्मीद एक नयी राह दिखाएगी |
कभी रौशनी में जिन्दगी पिलकायी जाएगी तो कभी दिल की गहराई से नापी जाएगी | साथ ले अपना अक्स बस चलती ही जाएगी |
कभी आत्मा को झकझोर देगी तो कभी पत्थरो से टकरा उड़ती चली जाएगी |
कभी अपनी  मुस्कान  में खुद  को जान  उस उम्मीद को पहचानने की आस  से उसका असर देखेगी  , तो कभी हर एहसास  के साये  में खुद को दिखा  शांत  नज़रों से कुछ  खोजेगी | 
क्या मेरी जिन्दगी ,
हर रौशनी में मेरा साथ देगी ?
या मुख्तलिफ़ हो मुझसे विस्मृत  हो जाएगी |
ये मेरी जिंदगी अंजोरी बन , मेरी हर राह आसान बना , हर अँधेरे साये की रौशनी को फांद बहुत दूर साथ निभाएगी |
बस मेरे साथ चलती जायेगी |

- दीप्ति शर्मा 

कुछ विचार

 
मैं मैं हूँ तू नहीं,फिर क्यूँ किया करूँ मैं नक़ल तेरी
गर मुझे तू होना होता,तुझ जैसी होती शकल मेरी

रोज़ करता हूँ खुद तामीर अपनी ही बर्बादी के नए तरीके
अब तुम  ही कहो इसे अक्ल कहूँ कि बद-अक्ल मेरी
(Tameer = plan,Construct)

जिस रोटी के खिलाने को मेरे पीछे दौड़ती थी मेरी दादी
उसी रोटी के पीछे दौड़ती है ज़िन्दगी आज-कल मेरी

दानिशवर  हम न सही मगर रखते हैं उम्र से कुछ  अक्ल
हर बात पे "you wont understand " कहती है मुझे अगली नस्ल मेरी
Daanishwar = Sage

Tuesday, April 19, 2011

दिल दुखता है मेंरा अब तुम न याद आने का वादा करो ,,

दिल दुखता है मेंरा अब तुम न याद आने का वादा करो 
रुकता बहुत सोचता हू अब न दिल दुखाने का वादा करो  

तेरे सपनो में बहुत खोया जी भर डूबा रहता हू मै 
जाओ तुम जाओ कही और जाने का इरादा करो 

तू और तेरी जालिम अदाए मुझे बहुत सताए 
मै भूल जाऊ सब मुझपे ए मेहरबानी अदा करो 

क्यों खफा बेवफा वफ़ा ये सब मुझे दीखता है तुझमे 
मुझको आओ समझाओ इन सबसे मुझे जुदा करो  

'मनी'अब मै खुश रहने की कोशिश करता हू बहुत
  मुझे छोड़ जाओ अब न याद आने का वादा करो 

गजल


मेरी हयात में शरीक रहा, जब तेरे नाम का रिश्ता।


मेरा ख्वाब भी बुनता रहा तब तेरे नाम का रिश्ता।




कुछ गिला था तुझसे, शिकवे तेरे भी सुने थे मैंने,


जब तलक रहा मेरे नाम से, तेरे नाम का रिश्ता।




बहुत कोशिशें की, इजहार में तमाम तीज-त्यौहार रीत गये,


कभी चाहा ही नहीं उसने मुझको, रहा नाम का रिश्ता।




उसके दरीचे से बस एक मैं खाली हाथ लौटा हूं,


शायद जिस शख्स के साथ था मेरा, बस नाम का रिश्ता।




मैं उसकी राह कैसे अपने मंजिल की तरफ मोड़ देता,


जिस शख्स का था मेरी मंजिल से बस नाम का रिश्ता।



रविकुमार बाबुल


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ravi9302650741@gmail.com

Thursday, April 14, 2011

.........परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग


खुल के दिल से मिलो तो सजा देते हैं लोग
सच्चे जज़्बात भी ठुकरा देते हैं लोग
क्या देखेंगे दो लोगों का मिलना
बैठे हुए दो परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग !

.........ये पंक्तियाँ मझे SMS में मिली, अच्छी लगी तो ब्लॉग पर आपसे साझा कर लीं ! 


-- संजय भास्कर

Monday, April 11, 2011

ख्वाहिश की है |


                       
      
रौशन  जहाँ  की ही ख्वाहिश की है 
मैंने अपने दिल की झूठे  बाज़ार  में
सच्चाई के  साथ आजमाइश की है |

मालूम है बस फरेब है यहाँ तो 
फिर क्यों मैंने सपन भर आँखों में 
अपने उसूलों की नुमाइश की है |

जब मेरी जिन्दगी मेरी नहीं तो क्यों?
ख्वाब ले जीने की गुंजाइश की है |

कुछ जज्बात हैं मेरे इस दिल के 
उनको समझ खुदा से मैंने बस 
कुछ खुशियों की फरमाइश की है |

मैनें तो बस कुछ लम्हों के लिए 
रोशन जहाँ की ख्वाहिश की है |

- दीप्ति शर्मा 

Saturday, April 9, 2011

तेरा दीवाना भोलापन मुझको बहुत सताता है 
मनी,चुपके चुपके ये मेरे ख्वाबो में भी आता है 

जब जब मै उलझा रहता हू या टूटा रहता हू 
तब तब ये आकर मुझको सब समझाता  है 

गर कुछ भूल गया मै या खुद से रूठ गया मै 
तब ये आकर याद दिलाता और मुझे मनाता है 

कभी तो हसकर बाते करता कभी  मुझे डराता है 
सच तेरा दीवाना भोलापन मुझको बहुत सताता है 

कब आओगी  बतलादो कोई तो खबर भिजवादो 
हा थोडा इसको समझा दो इससे मन घबराता है 

तेरा दीवाना भोलापन मुझको बहुत सताता है 
मनी,चुपके चुपके ये मेरे ख्वाबो में भी आता है

Monday, April 4, 2011

हाय हाय

हम हुए तू और मिट गए तो किसी को खबर तक नहीं
तूने बस लिया मेरा नाम और दुनिया करे हाय हाय

क्या होगा जो पहुंचेगी बू-ए-रूह तुम तक
सूंघी जो दम-ए-शराब  तो करते हो हाय हाय

क्या है ज़िन्दगी अब दरिया इक्क ठहरे हुए पानी का सा है
हुई बारिश तो बड़ी खूब हुई न हुई अगर तो क्या अल्लाह हाय  हाय

मुददत हुई देखा बनाया सजाया बा ख्वाबों में ही तुझे
हुआ रु-बा-रु तेरे,देखि हकीकत तो दिल रो उठा हाय हाय

पेट भर  खुराक  ,जिस्म भर पैराहन और होश भर शराब
फिर भी पूछो जो हाल तो कहते हो न पूछो हाय हाय

   
गौरव मकोल

Saturday, April 2, 2011

खता नहीं है |



हर इन्सान में जज्बा है 
सच बोलने का फिर भी 
वो झूठ से बचा नहीं है |

पहना है हर चेहरे ने 
एक नया चेहरा 
और जीता है जिन्दगी  
जब वो  बोझ समझ पर ,
जिन्दगी उसकी सजा नहीं है 
वो झूठ से बचा नहीं है |


खुद को पहचान वो 
चलता है उन रास्तो पर 
जहाँ खुद को जानने की
उसकी कोई रजा नहीं है 
वो झूठ से बचा नहीं है| 

कहता तो है हर बात 
बड़ी ही सच्चाई से पर 
नजरें कहती है उसकी 
कि उसके पास सच बोलने 
 की कोई वजह नहीं है 
इसलिए ही तो वो
 झूठ से बचा नहीं है |
इसमें उसकी खता नहीं है |
                                      
- दीप्ति शर्मा 

Friday, April 1, 2011

तेरे वास्ते

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
खुशियों से भरे हो तेरे रास्ते,
महफ़िलें सजती रहें तेरे वास्ते!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
मुस्कराहट तेरे चेहरे पे बस जाये ऐसे,
खुशबू से फूलों का साथ है जैसे!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
कामयाबी से भरे हों तेरे रास्ते,
खुशियाँ बरसे तेरे वास्ते!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
कोशिश कामयाबी में बदल जाये तेरे वास्ते
असफलता सफलता में बदल जाये तेरे वास्ते!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
धरती की गहराइयाँ भी कम  हो तेरी खुशियों के आगे ,
आसमान की ऊँचाइयाँ भी कम हों तेरे सफलता के आगे!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
दिन के उजाले में तू जगमगाए,
रात के अँधेरे में तू चमचमाए !!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
दुआ ये मेरी कुबूल हो जाये,
खुशियाँ तेरे दर पे बरस जाये!!