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Wednesday, April 20, 2011

जिन्दगी


                            

रात के अँधेरे साये में वो चिडचिडाती  रौशनी कभी राह दिखाती है तो कभी बस आँखों में चुभती सी नजर आती है | यक़ीनन उस रौशनी के भीतर कोई ख्वाब , कोई उम्मीद है जो पल पल जलती है , पर उसी वेग से जगती भी जाती है |
अथाह मन में उत्पन्न हर बात और विचित्र विडंबनाओ से जूझती जिन्दगी , क्या कोई उम्मीद पूरी कर पायेगी या इस रौशनी में इसकी चमक फीकी पड़ जाएगी|
अद्रीश की तरह ऊँचाई का कोई मुकाम पा मेरी जिन्दगी  आज किसी तारे की तरह आकाश में टीमटीमाएगी या धूमिल हो कोई अकस्  बन रह जाएगी |
हर एक चाह की तपिश  में तप, मेरी उम्मीद एक नयी राह दिखाएगी |
कभी रौशनी में जिन्दगी पिलकायी जाएगी तो कभी दिल की गहराई से नापी जाएगी | साथ ले अपना अक्स बस चलती ही जाएगी |
कभी आत्मा को झकझोर देगी तो कभी पत्थरो से टकरा उड़ती चली जाएगी |
कभी अपनी  मुस्कान  में खुद  को जान  उस उम्मीद को पहचानने की आस  से उसका असर देखेगी  , तो कभी हर एहसास  के साये  में खुद को दिखा  शांत  नज़रों से कुछ  खोजेगी | 
क्या मेरी जिन्दगी ,
हर रौशनी में मेरा साथ देगी ?
या मुख्तलिफ़ हो मुझसे विस्मृत  हो जाएगी |
ये मेरी जिंदगी अंजोरी बन , मेरी हर राह आसान बना , हर अँधेरे साये की रौशनी को फांद बहुत दूर साथ निभाएगी |
बस मेरे साथ चलती जायेगी |

- दीप्ति शर्मा 

5 comments:

  1. दिल के सुंदर एहसास
    हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।

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  2. खूबसूरत रचना

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  3. Behad Badia...
    Kaafi mazboot pakad hai aapki hindi bhasha par...bahut khoob..Shubh Kaamnaayein

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  4. dil ki har baat likh dali apne jo sayad har koi apne dil me har raat sochta hai... bhut sunder

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