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Friday, September 28, 2012

मेरी लाश लेने आप मत आना बेबे जी कुलबीर को भेज देना कही आप रो पड़ी तो

मेरी लाश लेने आप  मत आना बेबे जी कुलबीर को भेज देना कही आप रो पड़ी तो 

Sunday, September 23, 2012

तू जालिम था फिर भी दिल मेरे पास छोड़ गया , मनी' अजीब था तू अजीब हालातो में छोड़ गया

तू जालिम था फिर भी दिल मेरे पास छोड़ गया 
मनी' अजीब था तू अजीब हालातो में छोड़ गया 

शिकायत करू भी तो किससे सब तो खिलाफ थे 
जिसपे ज्यादा भरोशा था वही साथ छोड़ गया 

तुझे याद करता हू तो कुछ पल में भीग जाता हू 
इन आँखों में ए कैसा असर छोड़ गया

कुछ तो बता दे अब आगे का क्या होगा
तू आएगा कभी य हमेशा के लिए छोड़ गया  

बद्दुआ भी मै दू तो दू तुझे कैसे मेरा गुनाह था
मनी' ए क्या तू तो मेरे संग बदनामी छोड़ गया 
---------------------------------मनीष शुक्ल 



Thursday, September 20, 2012

Life is Just a Life: कैसे स्वर्णिम स्वप्न बुने कविता

Life is Just a Life: कैसे स्वर्णिम स्वप्न बुने कविता: अब पसर गयी हँस  अधरों पर  चूर थक हार उदासी है , आँखों के पोरों पर लूटे पिटे सपनों की ओस जरा सी है। पेट गए पथराये  जहाँ खाने को  खून ब...

Wednesday, September 12, 2012

दुविधा

मैं थी तन मन धन से तुम्हारी,थी समर्पित तुम्हे पूर्ण रूप से,
मैंने तुमसे चाहा था समर्पण,किया विश्वास अपार,
हर कदम पे किया त्याग और बलिदान अपनी खुशियों का,
माँगा था तुमसे विश्वास का आभूषण,पर एक दिन पाया बहुत कुछ तुमसे,
क्या अब मैं हो सकूँगी तुम्हारी,कर सकूँगी तुमपे फिर से विश्वास,
कैसे निभाऊं  इस जन्म जन्म के साथ को,
कैसे आऊं तुम्हारे पास,या अपना लूँ मैं भी एक आवरण,
और उसके सहारे जीवन को काट लूँ?
या सच्चाई  को अपनाऊं, कैसे इस दुविधा से बहार आऊं 

Saturday, September 8, 2012

अत्यंत दुखद
कलम से कार्टून बनाने वाले पर देशद्रोह बताते हुए सरकार व मुंबई पुलिस ने आज असीम त्रिवेदी को गिरिफ्तार कर लिया उन पर धारा १२४अ राजद्रोह ,66a it act,1971national एम्बलेम लगा कर आज रात ८.३० बजे  बांद्रा कुर्ला मुंबई थाने में गिरिफ्तार किया गया जो की पूर्ण रूप से गलत है एक कार्टूनिस्ट प़र देशद्रोह मै देश का आम नागरिक होते हुए ए बताना चाहता हू की अगर कार्टून बनाना देशद्रोह है तो फिर उन नेताओ को तो फ़ासी होनी चाहिए जो किसी महिला का रेप करते है किसी का क़त्ल करवा देते है और संसद के अन्दर नोटों भरा बैग उछालते है संसद के अन्दर हाथापाई करते है और उन्हें सरकार बाइज्ज़त सम्मान देती है अंग्रेजो से आजादी के बाद सबने आज़ाद देश का सपना देखा था पर हालत इतने बत्तर हों जायेंगे इसकी कल्पना भी नहीं की गयी थी की एक तरफ जो देश को नोच नोच के खा रहे है १००० करोड़ से १००००० करोड़ तक के घोटाले देश को खोखला कर दिया अगर उन गिद्धों का कार्टून बनाया गया तो ए कहा से गलत है वो गोलिया चलाते रहे घोटाले करते रहे और हम अपनी आवाज भी न उठाये और अगर आवाज उठाये तो हम पर राजद्रोह लगा दिया जाए
                                                           
   ....................................................सरकार इन सारे मुकदमो को वापस ले और असीम त्रिवेदी को बाइज्ज़त रिहा करे
मनीष शुक्ल