Thursday, September 20, 2012
Life is Just a Life: कैसे स्वर्णिम स्वप्न बुने कविता
Life is Just a Life: कैसे स्वर्णिम स्वप्न बुने कविता: अब पसर गयी हँस अधरों पर चूर थक हार उदासी है , आँखों के पोरों पर लूटे पिटे सपनों की ओस जरा सी है। पेट गए पथराये जहाँ खाने को खून ब...
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