संक्षिप्त परिचय: मीडिया में करीब 18 साल से अपनी सेवाएं दे रहे श्री सी एम् त्रिपाठी मीडिया के ग्लैमर से कई मील दूर हैं... इनकी रचनायें तमाम मंचीय कवियों और रचनाकारों को ठेंगा दिखाती हैं... शब्दों और भाषा की मजबूत पकड़ रखने वाले श्री त्रिपाठी स्वतंत्र भारत में फीचर डेस्क प्रभारी के पद पर हैं... मीडिया में शराफत को सहेजकर चल रहे त्रिपाठी जी की खाली जेबें सिर्फ और सिर्फ सम्मान से भरी हैं... पैसे की कमी के कारन उनका अभी तक कोई रचना संग्रह नहीं आ सका है... कविताबाज़ी में हम लगातार उनकी कवितायेँ प्रकाशित करेंगे...ताकि आपतक ऐसे मसिजीवी भी पहुँच सकें जो धन की दीवार के पीछे छिप गए हैं....
सीने में ऐतबार के खंजर उतर गए
बरता जो ऐहतियात तो साये से डर गए
अब वक्त की ठोकर पे खड़ा सोच रहा हूं
दुःख दर्द मेरा बांटने वाले किधर गए
शायद कि मिल ही जाये सुकूं दोस्तों के बीच
पूछो न इस तलाश में किस किस के घर गए
गिरना ही था तो एक नहीं सौ मुकाम थे
ये क्या किया कि आप निगाहों से गिर गए
चंद्रमणि त्रिपाठी (सी एम त्रिपाठी)
बरता जो ऐहतियात तो साये से डर गए
अब वक्त की ठोकर पे खड़ा सोच रहा हूं
दुःख दर्द मेरा बांटने वाले किधर गए
शायद कि मिल ही जाये सुकूं दोस्तों के बीच
पूछो न इस तलाश में किस किस के घर गए
गिरना ही था तो एक नहीं सौ मुकाम थे
ये क्या किया कि आप निगाहों से गिर गए
चंद्रमणि त्रिपाठी (सी एम त्रिपाठी)
स्वागत है सर
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ReplyDeleteआई ए एस बनता तो भ्रष्ट कहलाता
दुनिया ईमानदार होने का सुबूत माँगती
नेता बनता तो भी संदेह
समाजसेवक बनता तो आज नहीं तो कल
उससे भी इमानदारी का सुबूत माँगा जाता
इस लिए सोचता हूँ
भगत बिस्मिल आजाद जैसा कुछ बन जाऊँ
कम से कम मेरी ईमानदारी पर
शक तो नहीं करेंगे लोग
सुना है .......
बलिदानियों से सुबूत नहीं माँगा जाता !
...................................................!! पवन उपाध्याय !!
संवैधानिक मान्यताओं के अधीन
ReplyDeleteमाननीय न्यायालयों द्वारा
दोससिद्ध दोसी के लिए
जीवन के सारे रास्ते सदा के लिए बंद.....
शायद! इसीलिए प्रमाणिक तौर पर
घोषित अपराधी होते हुए भी
साक्ष्यों के अभाव में
माननीय न्यायालयों द्वारा
दोससिद्ध होने का चलन
ख़त्म हो चला है.........
.
वे सच सोचते हैं शायद!
बड़ी आबादी के देश में
दोससिद्धों की संख्या बढ़ने पर
नौजवानों के रोजगार अवसर बंद होंगे
वे चुनावों एवं प्रशाशनिक सेवा के आहर्य
नहीं रह जायेंगे...........
रछा सौदों, चारा घोटालों, टू.जी., ताबूत की दलाली
जैसे रोजगार में ..
सक्रिय भूमिका के अभाव में
बेरोजगार कहलायेंगे.........................................
..................................................पवन उपाध्याय
आभार !
ReplyDeleteकृतज्ञता का एक शब्द,
सिर्फ एक शब्द ही,
या कुछ और.... !
जब हम कृतज्ञ होते किसी से
तो करते हैं आभार
कहते हैं आभार
और तब हम मुक्त नहीं होते
अपने उन दायित्वों से
जिनका कर्ज उतारने के लिए
करते हैं आभार, बल्कि
लाद लेते हैं अपने सर पर
एक और संबंधों का भार
अंततः....जो बन जाता है (आ-भार) !!
..............................................................पवन उपाध्याय !!