ठंडी हवा जब उसे, छू कर जाती होगी,
शायद उसे मेरी याद, आती होगी,
कितना भी नकार ले, दुनिया के डर से,
यकीन है मन ही मन मुझे, चाहती होगी.........
फूट पड़ते है, झरने पत्थरो से यकायक,
अश्क छुपाने को बारिश में, नहाती होगी.......
क्या फर्क आलम-ए-तन्हाई बसर का
मिले थे जिन बागो में, वहा जाती होगी.......
तकिये के गिलाफ में, मेरे ख़त सबूत है,
मेरे खूँ की लिखावट उसे रुलाती होगी.............
कौन करेगा हिफाज़त, तेरी जुल्फों की दिलनशी,
बंद कमरों में बस आईने, जलाती होगी..........
हारकर, थककर, रोकर, सुबककर, बेचारी,
मुझसे दूर तन्हा यु हीं सो जाती होगी..
कितना भी नकार ले, दुनिया के डर से,
उसे मन ही मन मेरी याद आती होगी
ठंडी हवा जब उसे, छू कर जाती होगी,
शायद उसे मेरी याद, आती होगी
शायद उसे मेरी याद, आती होगी
प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
ब्लॉग का पता : http://prabhat-wwwprabhatkumar bhardwaj.blogspot.com/
शायद उसे मेरी याद, आती होगी,
कितना भी नकार ले, दुनिया के डर से,
यकीन है मन ही मन मुझे, चाहती होगी.........
फूट पड़ते है, झरने पत्थरो से यकायक,
अश्क छुपाने को बारिश में, नहाती होगी.......
क्या फर्क आलम-ए-तन्हाई बसर का
मिले थे जिन बागो में, वहा जाती होगी.......
तकिये के गिलाफ में, मेरे ख़त सबूत है,
मेरे खूँ की लिखावट उसे रुलाती होगी.............
कौन करेगा हिफाज़त, तेरी जुल्फों की दिलनशी,
बंद कमरों में बस आईने, जलाती होगी..........
हारकर, थककर, रोकर, सुबककर, बेचारी,
मुझसे दूर तन्हा यु हीं सो जाती होगी..
कितना भी नकार ले, दुनिया के डर से,
उसे मन ही मन मेरी याद आती होगी
ठंडी हवा जब उसे, छू कर जाती होगी,
शायद उसे मेरी याद, आती होगी
शायद उसे मेरी याद, आती होगी
प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
ब्लॉग का पता : http://prabhat-wwwprabhatkumar
कितना भी नकार ले, दुनिया के डर से,
ReplyDeleteउसे मन ही मन मेरी याद आती होगी...बेहतरीन शब्द सयोजन भावपूर्ण रचना.......
..बेहद खूबसूरत ग़ज़ल... बहुत सुन्दर...
ReplyDeletebahut sunder..
ReplyDeleteSachmuch aati hogi.............Wah.........
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