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Tuesday, November 22, 2011

उन्हें कुछ भी हों ये कतई गवारा नहीं मुझे , वो सारे ज़ुल्म मुझ पर करे कोई बात नहीं

वो छोड़ कर जा रहे है हमे कोई बात नहीं 
 दिल को शीशे सा तोड़ रहे कोई बात नहीं 

वो क्या कर रहे है शायद जानते ही नहीं 
वो महक फूलो से छीन रहे कोई बात नहीं 

एक एक वादा जो उन्होंने किया था मेरे संग 
वो एक एक कर तोड़ रहे है उन्हें कोई बात नहीं 

उन्हें कुछ भी हों ये कतई गवारा नहीं मुझे 
वो सारे ज़ुल्म मुझ पर करे कोई बात नहीं 

मनी 'अजीब गहरइयो में डूबा हू कैसे समझाऊ 
वो न सोचे मेरे बारे में तो न सोचे कोई बात नहीं  
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ल 




2 comments:

  1. मनी 'अजीब गहरइयो में डूबा हू कैसे समझाऊ
    वो न सोचे मेरे बारे में तो न सोचे कोई बात नहीं
    .....वाह क्या बात है सुन्दर गज़ल बधाई। हमेशा की तरह लाजवाब।

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  2. आपका आभार संजय भाई ,,,,,,,

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