कुछ बताते भी नहीं है गुनगुनाते भी नहीं है
क्या बात है आजकल पास आते भी नहीं है
जिनका उदासी से कोई भी रिश्ता नहीं था
क्या बात है वो आजकल मुस्कुराते भी नहीं है
जो सबको समझाया करते रहते थे हर दम 'मनी
क्या बात है वो आजकल खुद को समझाते भी नहीं है
जो बहुत कुछ बता,समझा देते थे इशारों में
क्या बात है वो आजकल नजरे मिलाते भी नहीं है
न जाने किस सितारे की नजर लग गयी उनको 'कि
आजकल शाम होते ही वो छत पर आते भी नहीं है
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ल 'मनी
waah! bhaut khub....
ReplyDeleteवाह वाह हर शेर खुबसूरत
ReplyDeletejust a word "lazwaaabbbbbbbbb"
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