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Tuesday, August 23, 2011

अपनी कलम ...



कोई बेवजह मर जाता है 
तो कोई लड़ -लड़ कर 
मगर मुझे लड़ना है 
अपनी कलम ... की ताकत से 
हर जंग फतह करना है 
गरीबों को इंसाफ नहीं मिलता 
इसलिए ,किसी से भी लड़ जाता हूँ 
कब सुधरेगा हमारा सभ्य संसार ?
ये सोंचके अड़ जाता हूँ 

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल "

3 comments:

  1. सुधरेगा लहरे जी बहुत जल्द ही सुधर जाएगा अन्ना दा है ना.......

    Mitra-Madhur

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  2. सुधरेगा जरूर सुधरेगा.... सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  3. आदरणीय ,neelkamal ji ,Maheshwari kaneri, सप्रेम साहित्याभिवादन ..
    sneh pradan ke liye hardik abhar ..
    मेरे ब्लॉग ...पर ब्लागर बंधुओं का हार्दिक स्वागत है आ कर मार्ग दर्शन करे ...
    सादर
    लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल "
    कोसीर ...ग्रामीण मित्र !

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