मधुर तनय सा मुझको अंग दिया,
जब ईश्वर ने यौवन संग दिया।
रहूं चहकती मैं हर पल ,जो,
जीवन मेरा प्रेम से रंग दिया।
परवाज करूं तूफानों में भी हरदम,
अम्बर सा जो तुमने आंचल दिया।
श्रृंगार किया, निखरा रूप प्रकृति का,
मधुर कंठ का मुझको अनुबंध दिया।
प्रीत भिगोयी निश्छल जल में मैनें,
अधरों को शब्दों का अपनापन दिया।
अनुराग का अनुबंध सहेज रखे मन,
सभी ने तुझको कोमल सम्मान दिया।
कोमल वर्मा
बहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDeleteभाव अच्छे लगे...
ReplyDeletebeautiful post.....excellent write!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना....
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