अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com

Wednesday, August 3, 2011

इंतजार


किश्तों में इंकार,
किया तुमने।
और किश्तों में किया हमने,
इकरार का इंतजार।

रविकुमार बाबुल

2 comments:

  1. वाह! बहुत खूब... जवाब नही आपका चंद शब्दों में क्या कुछ कह दिया आपने....

    ReplyDelete
  2. bhaut hi khubsurti se apne inkar aur intjaar ko baya kiya hai...

    ReplyDelete