अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com

Tuesday, August 2, 2011

अच्छा किया दगा दी तूने



अच्छा किया दगा दी तूने,
इस जिन्दगी को सजा दी तूने,
अपनी कीमत भूल गया था,
मेरी औकात बता दी तूने॥

अच्छा किया दगा दी तूने,
मेरी हर चीज़ ठुकरा दी तूने,
जीने की राह बना दी तूने,
अक्ल मुझे सिखा दी तूने॥

इक तजुर्बा था ये दुनिया का,
सब सिखाने की दया की तूने,
ये सच है या केवल लगता है,
तुझे चाहने की सजा दी तूने॥

जिन्दगी वैसे भी खुशनशीब थी,
तुझे पाने के बहुत करीब थी,
अब तेरे बिना मर भी कैसे जाऊँ,
क्यूँ ये जीने की वजह दी तूने ?

अच्छा किया दगा दी तूने।

2 comments:

  1. इक तजुर्बा था ये दुनिया का,
    सब सिखाने की दया की तूने,
    ये सच है या केवल लगता है,
    तुझे चाहने की सजा दी तूने॥

    बहुत खुबसूरत.....

    ReplyDelete
  2. Thanks for your visit; you blog is very colorful.

    ReplyDelete