अच्छा किया दगा दी तूने,
इस जिन्दगी को सजा दी तूने,
अपनी कीमत भूल गया था,
मेरी औकात बता दी तूने॥
अच्छा किया दगा दी तूने,
मेरी हर चीज़ ठुकरा दी तूने,
जीने की राह बना दी तूने,
अक्ल मुझे सिखा दी तूने॥
इक तजुर्बा था ये दुनिया का,
सब सिखाने की दया की तूने,
ये सच है या केवल लगता है,
तुझे चाहने की सजा दी तूने॥
जिन्दगी वैसे भी खुशनशीब थी,
तुझे पाने के बहुत करीब थी,
अब तेरे बिना मर भी कैसे जाऊँ,
क्यूँ ये जीने की वजह दी तूने ?
इक तजुर्बा था ये दुनिया का,
ReplyDeleteसब सिखाने की दया की तूने,
ये सच है या केवल लगता है,
तुझे चाहने की सजा दी तूने॥
बहुत खुबसूरत.....
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