ITS MY FIRST POST ON KAVITABAZI,...
AM THANKFUL TO ALL, FOR LETTING ME SPACE TO WHISPER MY EMOTIONS...
बारिस के मौसम में
सूखे पत्ते क्यूँ सरसराते है??
ये बूंदे क्यूँ खामश है??
कोई आहट क्यूँ दस्तक नहीं देती ??
मैखाने में पैमाने क्यूँ नहीं छलकते ??
मैखाने में पैमाने क्यूँ नहीं छलकते ??
सब कुछ जानकर भी ,..ये सारा जहां अनजान क्यूँ है??
हर पल को जीता मैं...
हर लम्हा संवारता मैं...
ये कहाँ मशरूफ हो गया हूँ...??
हर लम्हा संवारता मैं...
ये कहाँ मशरूफ हो गया हूँ...??
ये सारे सवाल..
ये सवाल क्यूँ है ???
ये सवाल क्यूँ है ???
...........इस बार , ये बरखा,.. इतना क्यूँ सताती है???
पहली पोस्ट के साथ
ReplyDeleteकविताबाज़ी ब्लॉग में आपका हार्दिक स्वागत है.....भार्गव जी
बहुत सटीक प्रस्तुति, सोचने पर विवश करती रचना
ReplyDelete@ Sanjayji... thanks,...kuch naya karne ki chah yahan khinch laii
ReplyDelete@ S.N. Shukla... Shuklaji Namaskar, .. haan sahi kaha aapne, we need to learn again, how to live.