देखो आज फिर लहूलुहान है भारत माँ, जागो,
अब सार्थक आजादी माँगती है भारत माँ, जागो,
फिर एक नया सुभाष माँगती है भारत माँ, जागो,
फिर से एक क्रांति माँगती है भारत माँ, जागो॥
जागो अब तो जागो, कब से मृतवत सोने वालों,
सबके जुल्मों को अपने सर कब से ढ़ोने वालों,
पहचानो अपनी क्षमता और कमर भी कस लो,
एक और बलिदान माँगती है भारत माँ, जागो॥
अब तो जागो, स्वाभिमान बेचकर सोने वालों,
तनिक कष्ट होने पर ही फूट फूट कर रोने वालों,
इस धरती के टूटे अंगो को अनदेखा करने वालों,
इस ऋण का प्रतिदान माँगती है, भारत माँ, जागो॥
फिर एक नया सुभाष माँगती है भारत माँ, जागो,
फिर से एक क्रांति माँगती है भारत माँ, जागो॥
Very patriotic and nicely written.
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