किसी ने किसी को मांगा था,
मिन्नतें खुदा से करके,
जब हार गया खुदा,
उसने उसी से, उसको मांग लिया था?
आज मैंनें भी किया यही,
तुम्हारे साथ, तुम्हीं को मांगने,
खुदा की देहरी पर दी दस्तक मैनें,
वह यकीन दिला दे तुम्हें,
मेरी वफा का।
तुम सदा-सदा के लिये हो जाओ मेरी,
फिर चाहना खुदा का हो या चाहे तुम्हारा?
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
बहुत अच्छे भाव...
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण और खुबसूरत रचना....
ReplyDeleteDepth of love and trust captured so beautifully...
ReplyDeleteसुन्दर शेली सुन्दर भावनाए क्या कहे शब्द नही है तारीफ के लिए .
ReplyDeletevery nice....
ReplyDeletewhat a depth...
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति नए अंदाज़ हैं आपके .
ReplyDeleteऐसी बेरुखी न दिखाओ, चेहरे से नूर टपकने दो |
ReplyDeleteक्यूँ मोहब्बत को दबा रही हो, यूँ ही महकने दो |