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Wednesday, July 27, 2011

तुम

मेरे गीतों का संगीत हो तुम
सुर दिया मेरे स्वरों को जिसने
लवो पे छाई कलम से निकली
वो मनमुग्ध गजल हो तुम
सजदा करूँ जिसे दिल से
वही प्यार की कलि हो तुम
उम्मीद करूँ जीने की मैं 
जिसके हंसी दामन में अरे
ऐसी  मेरी हसरत हो तुम
जीती हूँ जिसके धडकने से
दिल की वही धड़कन हो तुम

- दीप्ति शर्मा 
http://deepti09sharma.blogspot.com/2010/07/tum.html

5 comments:

  1. It's so romantic and full of love.

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  2. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

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  3. बहुत ही खुबसूरत रचना...

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