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अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com
Tuesday, July 26, 2011
ये तेरा दरबार न था
यूँ जीने की ख्वा
हि
स ना थी
,
यूँ हँसने का एतबार न था
,
बस इक पगली के जाने पर
,
मुझे रोने से इनकार...
ये तेरा दरबार न था (Complete)
Life is Just a Life
-- Neeraj Dwivedi
1 comment:
संजय भास्कर
July 27, 2011 at 1:55 AM
बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति..
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बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति..
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