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Sunday, July 31, 2011

जिन्दगी इश्क की



हुश्न ऐसा हो, जो नुमाइश ना भी हो, तो दिखता हो,
जश्न ऐसा हो, जो साकी... जिन्दगी इश्क की (Complete)


1 comment:

  1. नीरज जी बहुत सुन्दर कविता है, पर आपसे अनुरोध है कि कविताबाजी पर लिंक ना पोस्ट करें...पूरी कविता पोस्ट करें...धन्यवाद..!

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