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Monday, June 6, 2011

गजल




पाक दिल जो होता है आदमी।
जख्म वही अपने लिखता है आदमी।

कभी-कभी शब्द होते हुये भी,
तब मौन क्यूं रहता है आदमी।

रिश्ते जब भटक जायें रास्ता अपना,
यूं रिश्तें क्यूं तोड़ता है आदमी।

यादें ले जाना, जब जाना तुम,
वर्ना रोज-रोज मरता है आदमी।

मुद्दतों सोचा सांझा कर लूं बातें पर,
कब दिल की सुनता है आदमी।

रविकुमार सिंह
http://babulgwalior.blogspot.com/

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