करते रहे प्रेम | २८ साल बाद किसी ने कहा था इसी शहर से कि उस समय समझ न पाए थे तुम्हे | अच्छा लगा था --- पर अच्छा लगने का कारन आज ५ सालों बाद भी न समझ पाया | लेखनी को कष्ट देते रहो-- मस्त बहुत मस्त लेखन |
जी... प्रेम होता ही है कुछ ऐसा कि जब वह पास होता है, तो लगता है, कायनात में बस एक यह ही साथ रह जायेगा? और जब यह प्रेम टूटकर बिखरता है तो इसको छोड़ सभी कुछ मिल जाता है, प्रेम को ढूढऩे में सदियां गुजर जाती है, फिर भी नहीं मिलता है। 28 वर्षो बाद जब कोई खनकती आवाज उस समय समझ न पाये थे तुम्हें, कहकर अपना सोया जादू जगा दे ...। तो रविकर जी समझ लीजिये आपने अच्छा नसीब पाया है। कारण भले ही न मिल पाये ढूंढऩे से लेकिन इस बहाने प्रेम का अक्स मिलता रहे यह क्या कमतर है?
करते रहे प्रेम |
ReplyDelete२८ साल बाद किसी ने कहा था इसी शहर से
कि उस समय समझ न पाए थे तुम्हे |
अच्छा लगा था ---
पर अच्छा लगने का कारन आज ५ सालों बाद भी न समझ पाया |
लेखनी को कष्ट देते रहो--
मस्त बहुत मस्त लेखन |
आदरणीय रविकर जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
जी... प्रेम होता ही है कुछ ऐसा कि जब वह पास होता है, तो लगता है, कायनात में बस एक यह ही साथ रह जायेगा? और जब यह प्रेम टूटकर बिखरता है तो इसको छोड़ सभी कुछ मिल जाता है, प्रेम को ढूढऩे में सदियां गुजर जाती है, फिर भी नहीं मिलता है। 28 वर्षो बाद जब कोई खनकती आवाज उस समय समझ न पाये थे तुम्हें, कहकर अपना सोया जादू जगा दे ...। तो रविकर जी समझ लीजिये आपने अच्छा नसीब पाया है। कारण भले ही न मिल पाये ढूंढऩे से लेकिन इस बहाने प्रेम का अक्स मिलता रहे यह क्या कमतर है?
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर