हिना लगे हाथों से,
मेरी उम्मीदों सी बरसती,
कुछ बूंदों को।
तुमने जब,
हथेली में रख कर,
उछाला था मेरी तरफ।
तब लगा था,
कोई बता दे सावन,
इसे ही कहते है?
जब कोई हिना का रंग,
बरसती बूंदों में घोल कर,
मुझको सराबोर कर रहा था?
सावन की बात तो सावन में ही अच्छी लगेगी भाई बाबुल जी. हाँ! देहरादून में तो सावन का अहसास शुरू जून से ही हो रहा है... मर्मस्पर्शी कविता. अतीत की याद दिलाती कविता. ......... आभार. अनेकानेक शुभकामनायें.
अरे... चलिये कोई तो मिला, जिसे पता है कि इसे ही सावन कहते हैं? खैर ... मन का कुछ अहसास बूंदों की तरह ही जब बिखर जाये, तब बरसती बूंदें शोर मचाती दिखती हैं? और मन पानी में डूबते किसी रिश्ते को ढूढ़ता है? हां.... जी.... आपका आना सदैव की तरह अच्छा लगा।
जी... यूं तो कभी भी बरस जायें बंूदें, आंखों की तरह, लेकिन सावन में बरसी बंूदें पता नहीं क्यूं कुछ ज्यादा पवित्र और निश्छल लगती हैं? सो... सोचा... आपसे ही पूछ लूं, यह बूंदें सावन बना रही हैं तो फिर उसका साथ....? सवाल दर सवाल उभरेंगें? इसलिये आपकी तरह अच्छा कह लेना ही श्रेयस्कर है....? यादों में भींगते हुये आपका आना सुकूंन दे गया।
जी... बिलकुल सही फरमाया आपने सावन की बात सावन में ही की जाये तो अच्छा है? लेकिन जनाब उसकी यादों की बदली ने सदैव जब नैनों को सावन बना रखा हो? तब फिर कोई भी मौसम चक्र हो, जब भी कुछ बरसता है तो सावन याद आ जाता है। सो... शायद यह गुस्ताखी हुयी हो....., सावन के पहले सावन हो जाने की? आपका कुछ आपको अतीत में ले गया सावन बनाकर ... मैं क्या कहूं? लेकिन आभार और आपकी तमाम कामनाओं के लिये शुक्रिया। आते रहें ... मिलना अच्छा लगा?
अरे.... वही कहूं कि ब्लॉग पर पिछले कुछ दिनों से सूनापन क्यूं पसरा था? ईश्वर से कामना है कि वह जल्द से जल्द आपको पूर्णत: स्वस्थ करे और दवाईयों से निजात दिलवाये। हम सब चाहते हैं कि आप हम सबके बीच रहें, आपका न आना बुरा लगता है।
ha ji sawan ishe hi kahte hai...
ReplyDeleteGood,
ReplyDeletekuchh bundon ko savan me hi ------
baalti holi men|
सावन की बात तो सावन में ही अच्छी लगेगी भाई बाबुल जी. हाँ! देहरादून में तो सावन का अहसास शुरू जून से ही हो रहा है... मर्मस्पर्शी कविता. अतीत की याद दिलाती कविता.
ReplyDelete......... आभार. अनेकानेक शुभकामनायें.
आदरणीय सुषमा आहुति जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
अरे... चलिये कोई तो मिला, जिसे पता है कि इसे ही सावन कहते हैं? खैर ... मन का कुछ अहसास बूंदों की तरह ही जब बिखर जाये, तब बरसती बूंदें शोर मचाती दिखती हैं? और मन पानी में डूबते किसी रिश्ते को ढूढ़ता है?
हां.... जी.... आपका आना सदैव की तरह अच्छा लगा।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
आदरणीय रविकर जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
जी... यूं तो कभी भी बरस जायें बंूदें, आंखों की तरह, लेकिन सावन में बरसी बंूदें पता नहीं क्यूं कुछ ज्यादा पवित्र और निश्छल लगती हैं? सो... सोचा... आपसे ही पूछ लूं, यह बूंदें सावन बना रही हैं तो फिर उसका साथ....? सवाल दर सवाल उभरेंगें? इसलिये आपकी तरह अच्छा कह लेना ही श्रेयस्कर है....? यादों में भींगते हुये आपका आना सुकूंन दे गया।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
आदरणीय सुबीर रावत जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
जी... बिलकुल सही फरमाया आपने सावन की बात सावन में ही की जाये तो अच्छा है? लेकिन जनाब उसकी यादों की बदली ने सदैव जब नैनों को सावन बना रखा हो? तब फिर कोई भी मौसम चक्र हो, जब भी कुछ बरसता है तो सावन याद आ जाता है। सो... शायद यह गुस्ताखी हुयी हो....., सावन के पहले सावन हो जाने की? आपका कुछ आपको अतीत में ले गया सावन बनाकर ... मैं क्या कहूं? लेकिन आभार और आपकी तमाम कामनाओं के लिये शुक्रिया। आते रहें ... मिलना अच्छा लगा?
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
बेहतरीन
ReplyDeleteबस इतना ही कहूंगा
बाबुल जी
ReplyDeleteनमस्कार !
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
करीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
आदरणीय आलोक जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
जी... आपने मेरी रचना को बेहतरीन कहा, शुक्रिया।
मैं उतना अच्छा लिखता ही कहां हूं कि आप जो बेहतरीन से ज्यादा लिख पाते....। शुक्रिया आने के लिये।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
आदरणीय संजय जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
लेखनी कमाल की नहीं है संजय भाई, आपका पढऩा और महसूसना कमाल का है, सो... धोखे में मत रहिये, लेखनी को नमन करके। जी... शुक्रिया आप आये।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
आदरणीय संजय जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
अरे.... वही कहूं कि ब्लॉग पर पिछले कुछ दिनों से सूनापन क्यूं पसरा था? ईश्वर से कामना है कि वह जल्द से जल्द आपको पूर्णत: स्वस्थ करे और दवाईयों से निजात दिलवाये।
हम सब चाहते हैं कि आप हम सबके बीच रहें, आपका न आना बुरा लगता है।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर