tag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post2546588469119794247..comments2023-06-13T01:04:49.282-07:00Comments on kavitabazi: सावनAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/04403266169584434918noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-66081127990058949302011-06-30T23:54:38.489-07:002011-06-30T23:54:38.489-07:00आदरणीय संजय जी,
यथायोग्य अभिवादन् ।
अरे.... वही क...आदरणीय संजय जी,<br />यथायोग्य अभिवादन् ।<br /><br />अरे.... वही कहूं कि ब्लॉग पर पिछले कुछ दिनों से सूनापन क्यूं पसरा था? ईश्वर से कामना है कि वह जल्द से जल्द आपको पूर्णत: स्वस्थ करे और दवाईयों से निजात दिलवाये।<br />हम सब चाहते हैं कि आप हम सबके बीच रहें, आपका न आना बुरा लगता है।<br /><br />रविकुमार बाबुल <br />ग्वालियरbabulhttps://www.blogger.com/profile/17091172469913399418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-41585128205219354792011-06-30T23:54:07.139-07:002011-06-30T23:54:07.139-07:00आदरणीय संजय जी,
यथायोग्य अभिवादन् ।
लेखनी कमाल की...आदरणीय संजय जी,<br />यथायोग्य अभिवादन् ।<br /><br />लेखनी कमाल की नहीं है संजय भाई, आपका पढऩा और महसूसना कमाल का है, सो... धोखे में मत रहिये, लेखनी को नमन करके। जी... शुक्रिया आप आये।<br /><br />रविकुमार बाबुल <br />ग्वालियरbabulhttps://www.blogger.com/profile/17091172469913399418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-88939265481984359542011-06-30T23:53:42.083-07:002011-06-30T23:53:42.083-07:00आदरणीय आलोक जी,
यथायोग्य अभिवादन् ।
जी... आपने मे...आदरणीय आलोक जी,<br />यथायोग्य अभिवादन् ।<br /><br />जी... आपने मेरी रचना को बेहतरीन कहा, शुक्रिया।<br />मैं उतना अच्छा लिखता ही कहां हूं कि आप जो बेहतरीन से ज्यादा लिख पाते....। शुक्रिया आने के लिये।<br /><br />रविकुमार बाबुल <br />ग्वालियरbabulhttps://www.blogger.com/profile/17091172469913399418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-42579354389455151942011-06-30T17:22:58.654-07:002011-06-30T17:22:58.654-07:00करीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर...करीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ<br />आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-6215231432260618332011-06-30T17:21:39.710-07:002011-06-30T17:21:39.710-07:00बाबुल जी
नमस्कार !
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को ...बाबुल जी<br />नमस्कार !<br />कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाईसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-16523611368042700532011-06-30T02:49:45.066-07:002011-06-30T02:49:45.066-07:00बेहतरीन
बस इतना ही कहूंगाबेहतरीन<br />बस इतना ही कहूंगाalok dixithttps://www.blogger.com/profile/15239071797087854466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-18826194989862525432011-06-29T22:17:34.332-07:002011-06-29T22:17:34.332-07:00आदरणीय सुबीर रावत जी,
यथायोग्य अभिवादन् ।
जी... ब...आदरणीय सुबीर रावत जी,<br />यथायोग्य अभिवादन् ।<br /><br />जी... बिलकुल सही फरमाया आपने सावन की बात सावन में ही की जाये तो अच्छा है? लेकिन जनाब उसकी यादों की बदली ने सदैव जब नैनों को सावन बना रखा हो? तब फिर कोई भी मौसम चक्र हो, जब भी कुछ बरसता है तो सावन याद आ जाता है। सो... शायद यह गुस्ताखी हुयी हो....., सावन के पहले सावन हो जाने की? आपका कुछ आपको अतीत में ले गया सावन बनाकर ... मैं क्या कहूं? लेकिन आभार और आपकी तमाम कामनाओं के लिये शुक्रिया। आते रहें ... मिलना अच्छा लगा?<br /><br />रविकुमार बाबुल <br />ग्वालियरbabulhttps://www.blogger.com/profile/17091172469913399418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-90369062742535335962011-06-29T22:16:44.128-07:002011-06-29T22:16:44.128-07:00आदरणीय रविकर जी,
यथायोग्य अभिवादन् ।
जी... यूं तो...आदरणीय रविकर जी,<br />यथायोग्य अभिवादन् ।<br /><br />जी... यूं तो कभी भी बरस जायें बंूदें, आंखों की तरह, लेकिन सावन में बरसी बंूदें पता नहीं क्यूं कुछ ज्यादा पवित्र और निश्छल लगती हैं? सो... सोचा... आपसे ही पूछ लूं, यह बूंदें सावन बना रही हैं तो फिर उसका साथ....? सवाल दर सवाल उभरेंगें? इसलिये आपकी तरह अच्छा कह लेना ही श्रेयस्कर है....? यादों में भींगते हुये आपका आना सुकूंन दे गया।<br /><br />रविकुमार बाबुल <br />ग्वालियरbabulhttps://www.blogger.com/profile/17091172469913399418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-90714126817160322772011-06-29T22:16:17.182-07:002011-06-29T22:16:17.182-07:00आदरणीय सुषमा आहुति जी,
यथायोग्य अभिवादन् ।
अरे......आदरणीय सुषमा आहुति जी,<br />यथायोग्य अभिवादन् ।<br /><br />अरे... चलिये कोई तो मिला, जिसे पता है कि इसे ही सावन कहते हैं? खैर ... मन का कुछ अहसास बूंदों की तरह ही जब बिखर जाये, तब बरसती बूंदें शोर मचाती दिखती हैं? और मन पानी में डूबते किसी रिश्ते को ढूढ़ता है? <br />हां.... जी.... आपका आना सदैव की तरह अच्छा लगा। <br /><br />रविकुमार बाबुल <br />ग्वालियरbabulhttps://www.blogger.com/profile/17091172469913399418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-69348366372185786722011-06-29T06:24:34.711-07:002011-06-29T06:24:34.711-07:00सावन की बात तो सावन में ही अच्छी लगेगी भाई बाबुल ज...सावन की बात तो सावन में ही अच्छी लगेगी भाई बाबुल जी. हाँ! देहरादून में तो सावन का अहसास शुरू जून से ही हो रहा है... मर्मस्पर्शी कविता. अतीत की याद दिलाती कविता.<br />......... आभार. अनेकानेक शुभकामनायें.शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-2325185274518249172011-06-29T06:22:14.996-07:002011-06-29T06:22:14.996-07:00Good,
kuchh bundon ko savan me hi ------
baalti ...Good, <br /><br />kuchh bundon ko savan me hi ------<br />baalti holi men|रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-91653084335153334452011-06-29T05:40:36.824-07:002011-06-29T05:40:36.824-07:00ha ji sawan ishe hi kahte hai...ha ji sawan ishe hi kahte hai...विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.com