जी.... रविकर जी..... भटकता हुआ मेरा सवाल आपके होने के बावजूद भटकता ही रह गया। आपने जो भी बुद्धिमानी के जिस चुनरी की बात की तो जनाब इश्क में अगर सबसे पहले जो गुम होता है, उसे दिमाग (बुद्धि) ही कहते हैं? सो ईश्क है ही ऐसा......, शुक्रिया।
मेरा मानना है कि तमाम ग्रंथ पढ़ कर जब किसी इंसान का बदलना मुश्किल होता है, तभी ढाई आखर पढ़ कर कभी-कभी किसी की पूरी दुनियां ही बदल जाती है, शायद इसलिये ही कम शब्दों में पूरी बात अंजाने ही कह गया हूँ? शुक्रिया।
वाह !
ReplyDeleteजिसे हम प्यार करते हैं
जिन्दगी उसके साथ बिताएं|
या
जो हमें प्यार करता है उसके साथ |
बुद्धिमानी बाद में है |
यही तो त्रासदी है..................जीवन की
ReplyDeletewaah! bhut kam shabdo me sab kah diya apne...
ReplyDeletenice blog mere blog me bhi aaye dil ki jubaan
ReplyDeleteआदरणीय रविकर जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
जी.... रविकर जी..... भटकता हुआ मेरा सवाल आपके होने के बावजूद भटकता ही रह गया। आपने जो भी बुद्धिमानी के जिस चुनरी की बात की तो जनाब इश्क में अगर सबसे पहले जो गुम होता है, उसे दिमाग (बुद्धि) ही कहते हैं? सो ईश्क है ही ऐसा......, शुक्रिया।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
आदरणीय डॉ. निधि टण्डन जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
सच कहा आपने इश्क के मुकाबले में यह त्रांसदी अक्सर नजर आ ही जाती है। जीवन में, खैर.... ख्वाहिश है कुछ तो मिल जाये अनचाहा या मनचाहा....। शुक्रिया।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
आदरणीय सुषमा आहुति जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
मेरा मानना है कि तमाम ग्रंथ पढ़ कर जब किसी इंसान का बदलना मुश्किल होता है, तभी ढाई आखर पढ़ कर कभी-कभी किसी की पूरी दुनियां ही बदल जाती है, शायद इसलिये ही कम शब्दों में पूरी बात अंजाने ही कह गया हूँ? शुक्रिया।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर