अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com

Tuesday, May 17, 2011

मैं इंतजार करूंगा तुम्हारा


रविकुमार बाबुल

नींद में कुछ ख्वाब,
पलटते रहे मुझे,
और कुछ पुरानी यादें,
मुझे सहलाती रही।
मेरे अश्क तेरे अक्स में,
भींग गये भीतर तक।
तुम फिर भी सूखी रहीं,
तपती दोपहरी की तरह।

परिदें लौटते हैं शाम को
यह सुन चाहा था मैंनें,
तुम्हें चिडिय़ा बनाना।
तुम चिडिय़ा बन जाना,
और लौटके आना सांझ तक,
मैं इंतजार करूंगा तुम्हारा,
दिल के आंगन में
तुम्हारी चहचहाट सुनने को?

4 comments:

  1. ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

    ReplyDelete
  2. आदरणीय संजय जी,

    यथायोग्य अभिवादन् ।

    रचना पढऩे और अपने अमूल्य विचार देने के लिये शुक्रिया।

    रविकुमार बाबुल

    ReplyDelete
  3. आदरणीय सुषमा जी,

    यथायोग्य अभिवादन् ।

    पंक्तियां खूबसूरत हैं, इसका एहसास दिलाने के लिये शुक्रिया।

    रविकुमार बाबुल

    ReplyDelete