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Thursday, May 19, 2011

दिल भी गया नजरे गयी वफ़ा भी गयी,,,


डूबे हुए है आज कल वो किसके ख्याल में
फसते ही जा रहे हो जैसे दिलो जाल में 

क्या कर रहे वो कुछ जानते नहीं
बस उलझे हुए वो अपने सवाल में

दिल भी गया नजरे गयी वफ़ा भी गयी
पर बहुत खुश है वो घुस के बवाल में

सब कुछ समझ चुके पर मानते नहीं
बस मस्त है वो अपने इस खेलखाल में

बहुत मजे में है न उनको समझाओ
'मनी' रहने दो छोड़ दो उनके हाल में
......................मनीष शुक्ल


6 comments:

  1. मनीष भाई,
    कैसे लिख जाते हो यार ऐसा सब..........

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  2. संजय भाई आपका आभार ,,,,,,,मै तो बस इतना कहूँगा मोहब्बत कर लो सब आ जयेगा
    उसके बाद एक अलग सा जूनून होता है आप कुछ भी कर सकते हों ,,,,,,,,

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  3. सुषमा जी आपका आभार ,,

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  4. bahut sunder kavita.........

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  5. i am greatful to you pooja ji,,,,

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