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Saturday, May 14, 2011

................कुछ फ़र्ज़ भी निभाना है


कुछ काम भी करना है कुछ फ़र्ज़ भी निभाना है ,
खुद को मिटा कर भी ये देश बचाना है |
 जो दुश्मन सीमा पर है उसे मिटा देंगे 
गद्दार जो अन्दर है उनको भी मिटाना है |
कोई धर्म या मजहब हो सब भाई भाई हैं
रूठे हुए भाइयो को सीने से लगाना है |
ये देश सलामत है तो हम भी सलामत है ,
हर देश के वासी को यह याद दिलाना है |
भूंखा न रहे कोई न कोई नंगा हो
ये काम मुश्किल
है  पर करके दिखाना है |
खेतो में हमारे भी सोने के खजाने है ,
इक फसल
मोहब्बत की दिल में भी उगाना है |
ये गर्व हो हर इक को भारत का मै वासी हूँ
इस शान से जीने का अंदाज सिखाना है !


..........संजय भास्कर

1 comment:

  1. अरे वाह.... क्या खूब कहा है

    कुछ काम भी करना है कुछ फ़र्ज़ भी निभाना है ,
    खुद को मिटा कर भी ये देश बचाना है |
    जो दुश्मन सीमा पर है उसे मिटा देंगे
    गद्दार जो अन्दर है उनको भी मिटाना है |
    कोई धर्म या मजहब हो सब भाई भाई

    बहुत ही सुंदर कविता

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