अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com

Tuesday, May 24, 2011

….. क्या तुम्हें पता है, कि तुम एक जादूगरनी हो !!

 
सच ! तुम हसीन
बेहद ख़ूबसूरत हो
जब तुम्हें देखता हूँ
तो सिर्फ देखते रहता हूँ
तुम्हारी आँखें
उफ्फ़ ! क्या कहूं
अजीब-सी कशिश
अजीब-सा जादू है
जब भी मुझे
देखती हैं ! उफ्फ़
अपना बना लेती हैं !
हाँ ! याद है मुझे
जब तुमने मुझे
पहली बार देखा था
बस ! उसी पल
तुमने मुझे, न चाहकर भी
अपना बना लिया था
वो दिन या आज का दिन
मैं तुम्हारी आँखों के
इर्द-गिर्द ही हूँ
सच ! क्या तुम्हें पता है
कि तुम एक जादूगरनी हो !

शायद ! नहीं
ठीक है, अच्छा ही है
तुम अंजान हो
तुम्हें यह ही यकीं है
कि मैं तुम्हें
बे-इम्तिहां चाहता हूँ
सच ! चाहता तो हूँ
पर अनोखा सच तो
तुम्हारी आँखों का जादू
खैर ! जाने दो
मुझे तो सिर्फ इतना पता है कि मैं तुम्हें बेहद
बे-इम्तिहां चाहता हूँ !! 
चित्र :- ( गूगल से साभार  )
हमारे मित्र  श्याम कोरी  जी की रचना उम्मीद है पसंद आएगी आपको 

1 comment:

  1. किसी को चाहो तो बेंइन्तेहा चाहो........इतना कि फिर और कुछ याद रखने की ज़रूरत ही न हो..................अच्छा लिखा है संजय जी .........

    ReplyDelete