skip to main
|
skip to sidebar
अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com
Wednesday, March 28, 2012
यकीन
वह तो मैं था,
जो तेरी बातों पर,
करता रहा यकीन।
लोग तो जमाने में,
सच बातें भी,
कहां मानते हैं।
रविकुमार बाबुल
चित्र : साभार गूगल
1 comment:
संजय भास्कर
March 31, 2012 at 2:29 AM
.....शब्द शब्द बाँध लेता है ...बधाई स्वीकारें
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Facebook Badge
Manish Shukla
Create Your Badge
फेसबुक पर कविताबाजी
Change.org
|
Start an
Online Petition
कविता खोजें...
Total Pageviews
Blog Archive
►
2015
(5)
►
September
(1)
►
August
(4)
►
2014
(5)
►
October
(1)
►
May
(1)
►
April
(1)
►
February
(2)
►
2013
(36)
►
December
(1)
►
October
(1)
►
September
(2)
►
August
(4)
►
July
(3)
►
June
(1)
►
May
(1)
►
April
(8)
►
March
(8)
►
February
(6)
►
January
(1)
▼
2012
(116)
►
December
(2)
►
November
(3)
►
October
(7)
►
September
(5)
►
August
(7)
►
July
(11)
►
June
(15)
►
May
(12)
►
April
(9)
▼
March
(18)
अंधेरे ....!
यकीन
रिश्तों की आग बुझाने बैठे हो तुम
"प्यार हो गया है..."
"तेरी अंगूठी"
मेरा स्वप्न: उगते पंछी
क्यूंकि मैं एक लड़का नहीं
प्यार
क्यों तुमने इतना एहसान जता कर छोड़ दिया, 'क्यों प...
हिन्दी कविता और हम - HINDI KAVITA AUR HUM: परछाई क...
मत करना अफ़सोस मेरा
किसलिये
परछाई के खातिर कब तक.... सूरज को पीठ दिखाऊंगा
रंगोत्सव की शुभकामनाएं
तुम्हारा अविश्वसनीय प्रेम
पीड़ा
यू तो अक्सर खाव्बो में तुम मुझसे मिलने आती हों पर...
थिंक हट के...
►
February
(13)
►
January
(14)
►
2011
(217)
►
December
(19)
►
November
(23)
►
October
(18)
►
September
(23)
►
August
(35)
►
July
(20)
►
June
(15)
►
May
(12)
►
April
(13)
►
March
(12)
►
February
(12)
►
January
(15)
our authors
Balakrishna Mallya
Bhargav Bhatt
Bubble
Kunal Verma
Manish Tiwari
Mansi ki baat
Neelkamal Vaishnaw
Nitesh Srivastava
Rahul Raj
Unknown
Unknown
Unknown
Vijay Mishra
alok dixit
ashu
deepti sharma
meemaansha
हमारे साथी
.....शब्द शब्द बाँध लेता है ...बधाई स्वीकारें
ReplyDelete