अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com

Wednesday, March 14, 2012

क्यों तुमने इतना एहसान जता कर छोड़ दिया, 'क्यों पत्थर दिल को प्यार सिखा कर छोड़ दिया


 क्यों तुमने इतना एहसान जता कर छोड़ दिया 
'क्यों पत्थर दिल को प्यार सिखा कर छोड़ दिया 
 
इन आवारा जानवरों की बस्ती में 
क्यों तुमने हांक लगा कर छोड़ दिया

दिन रात शराब और जुवां, मस्ती से कटती 
क्यों तुमने अच्छा इंसान बनाकर छोड़ दिया 

 पहले जैसा था सब कहते है अच्छा था 
क्यों तुमने भगवान् दिखाकर छोड़ दिया 

ये दुनिया दारी मेरे बस के बहार है मैंने समझाया था 
'मनी'  क्यों तुमने दुनिया का पाठ पढ़ाकर छोड़ दिया 
---------------------------------------------मनीष शुक्ल 


No comments:

Post a Comment