अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com

Monday, September 5, 2011

याद


अक्सर गुलाबों का जिक्र,
करते हैं लोग,
और कांटों को न जाने क्यूं ,
भूल जाते हैं?

सच तो यह है,
कि जख्म ही अक्सर,
हमें अपनों की याद,
दिला जाते हैं?



  • रविकुमार बाबुल


3 comments:

  1. सच तो यह है,
    कि जख्म ही अक्सर,
    हमें अपनों की याद,
    दिला जाते हैं? very nice...

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...

    ReplyDelete