अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com

Monday, September 19, 2011

स्पर्श: समझो गर तुम

स्पर्श: समझो गर तुम: शिकायत नहीं है वफ़ा से तुम्हारी फिर भी तन्हाइयों के पास हूँ | उलझी हूँ अपनी ही क...

No comments:

Post a Comment