अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com

Saturday, September 3, 2011

बहुत उलझे हुए है अपने ही लोग

बहुत उलझे हुए है अपने ही लोग 
मुसीबत में फसे है अपने ही लोग 

 गर ऐसे ही चलता रहा इन चोरो का काफिला 
 तो तय है इक दिन उखड जायेंगे अपने ही लोग 

वक़्त है यही सही अब आगे बढ़ो दोस्तों 
वरना अब मिट जायेंगे अपने ही लोग 

ऐसे हम भी हों सकता है हों जाये शिकार
तब कुछ न कर पाएंगे अपने ही लोग 

बेदी,विश्वास,केजरीवाल,भूसन,सिशोदिया 
सभी को बचाओ मुशीबत में है अपने ही लोग ,,,,मनीष शुक्ल 

5 comments:

  1. बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति ||
    सादर अभिनन्दन ||

    अन्ना निर्देशक बने, फिल्म महा-अभियोग,
    केजरि के बैनर तले, सारोकार- सुयोग |

    सारोकार-सुयोग, सुनों सम्वाद ओम के,
    फ़िदा किरण का नाट्य, वितरकी हुए रोम के |


    कह 'रविकर' इतिहास, जोड़ता स्वर्णिम पन्ना,
    व्युअर-शिप का शेर, हमारा प्यारा अन्ना ||

    File:Ashoka Chakra.svg
    नाटक-शाला में घुसें, दीवारों को तोड़,
    आगे-आगे ओम जी, पीछे कई करोड़ |


    पीछे कई करोड़, सुधारो खुद को भाई,
    आँगन कुटी छवाय, रखो बाकी अच्छाई |

    कह रविकर अफ़सोस, कुटिल काला दिल सा ला,
    मिटा रहे सम्मान, बना के नाटक-शाला ||

    ReplyDelete
  2. अन्ना को घेरन लगे, मंत्री-पुलिस-दलाल,
    भूषण द्वय के साथ में., किरण-केजरीवाल |

    किरण - केजरीवाल, उजाड़ा बाबा टीला,
    है अन्ना पर चार्ज, किया उत्पात कबीला |

    पर तिहाड़ के कई, अभी भी खाली पन्ना |
    सबको अन्दर भेज, तभी बैठेगा अन्ना ||

    ReplyDelete
  3. (१)
    सरकारी बन्धुआ मिले, फ़ाइल रक्खो दाब,
    किरण-केजरीवाल का, खेला करो खराब |

    खेला करो खराब, बहुत उड़ते हैं दोनों --
    न नेता न बाप, पटा ले जायँ करोड़ों |

    कह सिब्बल समझाय, करो ऐसी मक्कारी,
    नौ पीढ़ी बरबाद, डरे कर्मी-सरकारी ||

    (२)
    खाता बही निकाल के, देखा मिला हिसाब,
    फंड में लाखों हैं जमा, लोन है लेकिन साब |

    लोन है लेकिन साब, सूदखोरों सा जोड़ा,
    निकले कुल नौ लाख, बचेगा नहीं भगोड़ा |

    अफसर नेता चोर, सभी को एक बताता |
    फँसा केजरीवाल, खुला घपलों का खाता ||

    ReplyDelete
  4. आप सभी का आभार ,,,,,,,,,,

    ReplyDelete