सच
मैं अपना सच,
छिपा नहीं पाया?
तुम अपना सच
कही नहीं पाये?
आओ हम दोनों आज,
अपने-अपने सच को,
अपनी अंजुरी में रख कर,
अपनी मुहब्बत का अभिषेक करें
तुम मुझे प्रसाद बना देना,
और खुद प्रार्र्थना हो जाना?
प्यार
जिससे मिला नहीं कभी,
उससे प्यार कर बैठा?
जिससे मिलना हुआ मेरा,
उससे भी प्यार कर बैठा?
तुम ही बतलाओ,
किस प्यार के साथ चलूं मैं?
वह जो दूर है,
शायद न चले साथ मेरे।
या वह जो साथ है,
पर शायद न चले साथ मेरे?
नाम
मैंने कभी नहीं लिखा,
उसको दिये तोहफे पर,
अपना नाम।
देखकर मेरा तोहफा,
ताउम्र लिखती रहे,
वह मेरा नाम।
यह कोशिश,
जरूर की है मैंने।
साया
जब हर साया तेरे जैसा है,
फिर तेरा साया खास क्यूं है?
मेरी जिंदगी ने पूछा कई बार,
बस वह शख्स ही खास क्यूं है?
शब्द
भूल गया था अक्षर जोडऩा,
जब तुम जुड़े, सब जुड़ चला।
शब्द की हामी भर लो तुम,
पूरा वाक्य मैं रच लूंगा?
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रविकुमार बाबुल, ग्वालियर
093026 50741