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Sunday, December 25, 2011

याद



मेरी आंखों में,
तुम्हारी याद,
खारे पानी में,
हो जाती है तब्दील।

सोचता हूं मैं ,
तुमको भी,
तन्हाई में,
आती होगी याद मेरी?

यादों को सम्हाल रखा है मैंनें,
क्यूंकि,
मुझे तुमसे प्यार है।

तुमने कहां गलत किया मुझको भूलाकर,
क्यूंकि,
मेरा प्यार तुम्हें स्वीकार ही कहां था?



  • रविकुमार बाबुल


3 comments:

  1. दिल को छू हर एक पंक्ति....

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  2. एहसासों को कुरेदती अच्छी प्रस्तुति .बधाई .नववर्ष की .

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  3. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

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