मै भला हू या बुरा रहने दो
मै जैसा हू वैसा बना रहने दो
मुझको दिए है तुने तोहफे बहुत
मै भूला हू वो सब भूला रहने दो
शराफत है कितनी तुझमे पता है
बस एक पर्दा है पड़ा रहने दो
अब दर्द में आवाज़ मत दो मुझे
बेवफा बोला था बेवफा ही रहने दो
'मनी' आजकल बहुत हँसता हू मै
दूर रखो खुदको मुझे जुदा रहने दो
........मनीष शुक्ल
बेहतरीन अभिवयक्ति.....
ReplyDeletebhaut hi acchi abhivaykti....
ReplyDeleteap sabhi ka abhar...!
ReplyDeleteसुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteकृपया मेरी नवीन प्रस्तुतियों पर पधारने का निमंत्रण स्वीकार करें.
अब दर्द में आवाज़ मत दो मुझे
ReplyDeleteबेवफा बोला था बेवफा ही रहने दो
बेहद सुन्दर ग़ज़ल! हर एक भाव से हृदय जुड़ सा जाता है!
सुन्दर प्रस्तुति | मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteaap sabhi ka abhaar,,,,,,,,,,,,,,,
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