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Thursday, December 1, 2011

मै भला हू या बुरा रहने दो ,,,,,,,,

मै भला हू या बुरा रहने दो 
मै जैसा हू वैसा बना रहने दो 

मुझको दिए है तुने  तोहफे बहुत 
मै  भूला हू  वो सब भूला रहने दो 

शराफत है कितनी तुझमे पता है 
बस एक पर्दा है पड़ा रहने दो

अब   दर्द में आवाज़ मत दो मुझे
बेवफा बोला था बेवफा ही रहने दो 

'मनी' आजकल बहुत हँसता  हू मै 
दूर रखो खुदको मुझे जुदा रहने दो 
                  ........मनीष शुक्ल 
 

7 comments:

  1. बेहतरीन अभिवयक्ति.....

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  2. सुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति.

    कृपया मेरी नवीन प्रस्तुतियों पर पधारने का निमंत्रण स्वीकार करें.

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  3. अब दर्द में आवाज़ मत दो मुझे
    बेवफा बोला था बेवफा ही रहने दो
    बेहद सुन्दर ग़ज़ल! हर एक भाव से हृदय जुड़ सा जाता है!

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  4. सुन्दर प्रस्तुति | मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  5. aap sabhi ka abhaar,,,,,,,,,,,,,,,

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