तेरा दीवाना भोलापन मुझको बहुत सताता है
मनी'चुपके चुपके ये मेरे खाव्बो में भी आता है
कभी मै तुमसे नजर मिलाऊ कभी मै पुछू कैसी हों
सच कहता हू जानेमन ऐसी हिम्मत दे जाता है
और कभी दिख जाती हों तुम जाती मुझको सडको पर
कुछ तो कहते फिर चूके तुम ,ये तक कहने आता है
जब कभी मै उलझा होता हू या घबरा जाता हू
तब आकर ये मुझको अच्छे से समझा जाता है
मनी'जब पता चलेगा तुमको न जाने तुम क्या सोचोगी
यही सोच डर जाता हू शायद इसीलिए पीछे हट जाता हू
तेरा दीवाना भोलापन मुझको बहुत सताता है
मनी'चुपके चुपके ये मेरे खाव्बो में भी आता है
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ल
तेरा दीवाना भोलापन मुझको बहुत सताता है
ReplyDeleteमनी'चुपके चुपके ये मेरे खाव्बो में भी आता है
वाह वाह बहुत सुन्दर कहा ......यही तो दिल की लगी है.
....बहुत ही खूबसूरत रचना...मनीष जी
ReplyDeleteapka abhaar sanjay ji
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