उमड़ आयी बदली
तेरे लाज के घूँघट से
द्वार पर खड़ी तू
बेतस बाट जोहती
झलक गये तेरे केशू
तेरे आँखों के अर्पण से |
पनघट पे तेरा आना
भेष बदल गगरी छलकाना
छलक गयी गगरी तेरी
तेरे लाज के घूँघट से |
सजीले पंख सजाना
प्रतिध्वनित वेग से
झरकर गिर आयी
तेरे पाजेब की रुनझुन से |
रागों को त्याग
निष्प्राण तन में उज्जवल
उस अनछुई छुअन में
बरस गयी बदली
तेरे लाज के घूँघट से
उमड़ आयी बदली
तेरे लाज के घूँघट से
- दीप्ति शर्मा
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