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मुश्किल रास्ता है पर कैसे कैसे चल रहे हो तुम
न कोई गुस्सा, न इरीटेसन, न फिजूल की बाते है
ताजुब है और दिन पे दिन कैसे सुलझ रहे हो तुम
इन दिनों न उसूल न कोई गजल न पॉलिटिक्स
कुछ बताओ,सिर्फ सादे सादे कैसे रह रहे हो तु
कुछ तो है जो बदला हुआ इन दिनों, है न
मानना पड़ेगा ये सब कैसे कर रहे हो तुम
=======================मनीष शुक्ल
nice manish jee
ReplyDeleteआपका आभार आशीष जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,
ReplyDeleteबड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....