दुनिया पर हंसने का फ़न आसान नहीं, पहले अपनी हंसी उड़ानी होती है '
स्मरण / चार्ली चैपलिन ( 16.4.1889 - 20.12.1977 ) चार्ली चैपलिन मतलब विश्व सिनेमा का सबसे बड़ा विदूषक और सर्वाधिक चाहा गया स्वप्नदर्शी महानायक जो अपने जीवन-काल में ही किंवदंती बन गया। अपने व्येक्तिगत जीवन में बेहद उदास, खंडित, दुखी और हताश चार्ली ऐसे अदाकार थे जो भीषण और त्रासद परिस्थितियों को एक हंसते हुए बच्चे की निगाह से देख सकते थे। रूपहले परदे पर उनकी हर भाव-भंगिमा, हर हरकत अपने युग की सबसे लोकप्रिय मिथक बनी। विश्व सिनेमा पर इतना बड़ा प्रभाव उनके बाद के किसी सिनेमाई शख्सियत ने नहीं छोड़ा। हमारे राज कपूर ने श्री 420, अनाड़ी, जिस देश में गंगा बहती है, मेरा नाम जोकर जैसी कुछ फिल्मों में चार्ली को हिंदी सिनेमा के परदे पर पुनर्जीवित करने की कोशिश की थी। चार्ली बहुमुखी प्रतिभा के धनी फिल्मकार थे जिन्होंने अभिनय के अलावा अपनी ज्यादातर फिल्मों का लेखन, निर्माण, निर्देशन और संपादन ख़ुद किया। 1921 से 1967 तक लगभग पांच दशक के फिल्म कैरियर में उनकी सर्वाधिक चर्चित फ़िल्में थीं - The Kid, A Woman in Paris, The Gold Rush, The Circus, City Lights, Modern Times, The Great Dictator, Limelight, A King in New York, A Countess From Hong Kong आदि।
एक मासूम सी दुनिया का ख़्वाब देखने वाली नीली, उदास और निश्छल आंखों वाले ठिंगने चार्ली चैपलिन के जन्मदिन पर हमारी उदास और निश्छल श्रधांजलि एक शेर के साथ - ' दुनिया पर हंसने का फ़न आसान नहीं पहले अपनी हंसी उड़ानी होती है '
सच कहा अहि ... पहले खुद पे हंसना सीखना जरूरी है ...
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