क्या बात है बहुत परेशान हों
बोलती तस्वीर सी सुनसान हों
समझने की कोशिश करता हू जब
हर बार लगती हों अनजान हों
कुछ कहोगे ये सोचता हू जब भी
झुक जाती हों बस ज़िन्दाजान हों
मुझे लगता है तुम मेरे साथ हों
और तुम किसी की पहचान हों
क्या कहू करता था या हू या कुछ भी नहीं
'मनी'मेरे लिए अब तो बस एक मेहमान हों
--------------------------------मनीष शुक्ल
sushma ji apka abhhar
ReplyDeleteमनीष भाई
ReplyDeleteकैसे लिख जाते हो यार ऐसा सब........बहुत खुबसूरत
bas sanjay bhai jo man me ata hai wahi likh jate hai,,,,,,,,,,
ReplyDeleteक्या बात है बहुत परेशान हों
ReplyDeleteबोलती तस्वीर सी सुनसान हों
bahut acha likhi hai ye lines...
ruchi ji aapka abhaar.....
ReplyDeletev nice
ReplyDeleteनीलांश ji aapka aabhaar
ReplyDelete