एकमुश्त मौत दे दो
फिर खुशियों वाले ब्याज पर
एक नयी जिंदगी लो
एक सही जिंदगी लो
फिर जिंदा हो
फिर जिंदा हो
क्या खूब मुखौटा पहने है
क्या खुद पर पर्दा डाला है
है चमकती पट्टी आँखों पर
समझे खुद को निराला है
ये झूठ के परों को कतरों ज़रा
फिर छूना सच के आकाश को
अब छोडो, दुनिया के खौफ को
इस किस्तों वाली मौत को
एकमुश्त मौत दे दो
फिर खुशियों वाले ब्याज पर
एक नयी जिंदगी लो
एक सही जिंदगी लो
फिर जिंदा हो
फिर जिंदा हो
मन में रखे आईने को
सही सूरत दे दो, जीने को
देख दूजों की चकाचौंध
क्यों खुद पर शरमाते हो
इस उतरन को उतार फेकों
फिर अपनी असल चमक देखो
क्यों गीले कोयले से सुलगते हो
इस किस्तों वाली मौत को
एकमुश्त मौत दे दो
फिर खुशियों वाले ब्याज पर
एक नयी जिंदगी लो
एक सही जिंदगी लो
फिर जिंदा हो
फिर जिंदा हो
NICE
ReplyDeleteबेहद शानदार प्रस्तुत !
ReplyDeletewahhhhhh.
ReplyDeletesanjay bhai thanx
ReplyDeletedr. sushila ji thanxxx
www.neerajkavi.blogspot.com