अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा.
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा..
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा भी नहीं.
मैं गिरा तो मशाल बनकर खड़ा हो जाऊँगा..
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा..
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा भी नहीं.
मैं गिरा तो मशाल बनकर खड़ा हो जाऊँगा..
आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
ReplyDeleteमेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html