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Saturday, January 21, 2012

चाहत


खत लिखने का सोचा था कल रात उसको ....
कम्बख्त छुरी नही मिली
सोचा लहु से ना सही, आसूओ से लिख दे
पैगाम ए प्यार,
दिल तो खूब रोया
कम्बख्त आख दगा दे गई.
(चिराग )

3 comments:

  1. चिराग जी आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति अच्छी लगी.
    आप मेरे ब्लॉग पर आये,इसके लिए आभार आपका.
    आना जाना बनाये रखियेगा जी.

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  2. very well written chirag..and thank u for joining my site:)

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  3. मन को छू गई...चिराग जी

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