अक्सर वो मन्नतें,
हो जाती हैं पूरी,
जो टूटते हुये,
तारों को देख कर मांगी जाये।
आज मैंने भी,
मांगी है मन्नत,
अपने टूटे हुये दिल से,
तेरा साथ मिल जाये,
सदा-सदा के लिये।
सोचता हूं,
तारों का टूटना सच है,
और दिल का टूटना भी।
फिर कोई तो बतलाए,
दिल से कितने बड़े होते हैं तारे?
जो अनसुनी रह गई दिल की आवाज,
और पूरी नहीं हुयी मेरी मन्नत?
- रवि कुमार बाबुल
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
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