वो निश्चल भावना तुम्हारी
जीत मेरा मन गयी
जला के मन मंदिर में जयोति
वो प्रीत मेरी बन गयी
मैं प्यार का सागर बना
तू लहर मेरी बन गयी
मैं गीत बना धरा पर
तू संगीत मेरी बन गयी
ज़िन्दगी की राहों में हर
खवाब टूटने लगे
पर तुझे देख खवाब सजाना
रीत मेरी बन गयी
तुझ संग जीने-मरने की कसमें
मैं रोज खाया करता था
पता नहीं चला मुझे कब
तू अतीत मेरी बन गयी !!!
जीत मेरा मन गयी
जला के मन मंदिर में जयोति
वो प्रीत मेरी बन गयी
मैं प्यार का सागर बना
तू लहर मेरी बन गयी
मैं गीत बना धरा पर
तू संगीत मेरी बन गयी
ज़िन्दगी की राहों में हर
खवाब टूटने लगे
पर तुझे देख खवाब सजाना
रीत मेरी बन गयी
तुझ संग जीने-मरने की कसमें
मैं रोज खाया करता था
पता नहीं चला मुझे कब
तू अतीत मेरी बन गयी !!!
आप सभी कवी मित्रों को मेरी और से नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteवो निश्चल भावना तुम्हारी
ReplyDeleteजीत मेरा मन गयी
जला के मन मंदिर में जयोति
वो प्रीत मेरी बन गयी....जिन्दगी की राहों पर ... बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
नव वर्ष पर सार्थक रचना
ReplyDeleteआप को भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
bahut khub
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteहमे बेहद खुशी हुई की आपको हमारी रचना पसंद आई.