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Thursday, April 14, 2011

.........परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग


खुल के दिल से मिलो तो सजा देते हैं लोग
सच्चे जज़्बात भी ठुकरा देते हैं लोग
क्या देखेंगे दो लोगों का मिलना
बैठे हुए दो परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग !

.........ये पंक्तियाँ मझे SMS में मिली, अच्छी लगी तो ब्लॉग पर आपसे साझा कर लीं ! 


-- संजय भास्कर

4 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत पंक्तिया है

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  2. SAMPOORN BIMB HAIN YE PANKTIYAAN!
    "baithhe hue parindon ko udaa deten hain log ,"
    veerubhai .

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  3. अच्छी पंक्तियां है भास्कर जी!

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